जीतेंद्र दीक्षित
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम अक्सर खबरों में रहता है। बीते १५ सालों में करीब छह बार उसके मरने की खबर आ चुकी है और ऐसी हर खबर के कुछ दिनों बाद एक और खबर आती है कि वह जिंदा है। दाऊद इब्राहिम जिंदा हो या मर गया हो लेकिन एक बात बिल्कुल सच है कि उसके गिरोह ने नवंबर २००२ के बाद शहर में एक भी गोली नहीं चलाई। इस सदी के पहले दशक के खत्म होते-होते उसके गिरोह ने मुंबई से अपना काला कारोबार भी समेट लिया।
दाऊद इब्राहिम गिरोह की ओर से मुंबई में आखिरी बड़ी वारदात को अंजाम नवंबर २००२ में दिया गया था। शहर के वर्सोवा इलाके में अली नानजियानी नाम के एक लोकल केबल चैनल चलाने वाले शख्स की छोटा शकील के शूटरों ने हत्या कर दी थी। पुलिस के मुताबिक उस केबल ऑपरेटर का दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई नूर इब्राहिम उर्फ नूरा के साथ किसी संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। नूरा के कहने पर ही शकील ने अली को खत्म करवा दिया। इसके बाद से शकील गिरोह की ओर से मुंबई में किसी बड़े शख्स की हत्या दर्ज नहीं की गई है।
इस वारदात के अगले साल यानी कि २००३ में दाऊद के एक और छोटे भाई इकबाल कासकर को संयुक्त अरब अमीरात से डिपोर्ट करके भारत लाया गया। सारा सहारा शॉपिंग सेंटर के मामले में मकोका कानून के तहत उसकी गिरफ्तारी हुई। मुंबई पुलिस कि आरोप था की यह शॉपिंग सेंटर केंद्र सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया था। कासकर कई साल मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहा और मुकदमा खत्म होने के बाद उसी पैकमोनिया स्ट्रीट में रहने लगा जहां १९८६ तक दाऊद इब्राहिम रहा करता था।
माना जाता है कि अपने भाई के मुंबई पहुंचने के बाद से दाऊद गिरोह ने शहर से अपनी आपराधिक गतिविधियां बंद कर दीं। उसके गिरोह की ओर से बिल्डरों, होटल मालिकों और फिल्मकारों को धमकाया जाना या उनकी हत्या की जानी भी बंद हो गई। यहां तक कि दाऊद ने अपने दुश्मन गिरोह के साथ गैंगवॉर भी खत्म कर लिया। यह पैâसला शायद यह सोच कर लिया गया कि अगर गैंगवॉर जारी रहता है तो मुंबई में उसके भाई की जान को खतरा हो सकता है। दाऊद हीरो के ठंडे पड़ जाने के पीछे एक बड़ी भूमिका मुंबई पुलिस की भी रही। मुंबई पुलिस ने दाऊद के कई बड़े सूत्रों को एनकाउंटर में मार डाला या फिर मकोका कानून के तहत पकड़ कर जेल में ठूंस दिया।
भले ही दाऊद ने मुंबई में अपना अपराधिक कारोबार समेट लिया हो लेकिन उसके नाते रिश्तेदार और पुराने गुर्गे उसके नाम का इस्तेमाल कई साल तक करते रहे। साल २००६ में जबरन वसूली का एक मामला दाऊद की बहन हसीना पारकर पर दर्ज हुआ था। छोटा शकील अक्सर टीवी चैनलों को इंटरव्यू देता रहता था और दोहराता था कि उसका सबसे कट्टर दुश्मन छोटा राजन अभी भी उसके निशाने पर है। साल २०११ में दाऊद के भाई इकबाल कासकर पर फायरिंग हुई जिसमें उसका बॉडीगार्ड मर गया। इस फायरिंग का आरोप छोटा राजन गिरोह पर लगा था। दाऊद के फिलहाल जिंदा होने का तो पता नहीं लेकिन उसके नाम को भारत में सभी भुना रहे हैं। मीडिया से लेकर पुलिस और राजनेता तक अक्सर किसी न किसी संदर्भ में दाऊद इब्राहिम का जिक्र करते रहते हैं।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)