मुख्यपृष्ठअपराधमुंबई का माफियानामा : ‘यादें’ पर सट्टे की रोक

मुंबई का माफियानामा : ‘यादें’ पर सट्टे की रोक

विवेक अग्रवाल

हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।

जुलाई २००१ के पहले सप्ताह में एक बार फिर मुंबई के तमाम सटोरियों में हड़कंप मचा…
इस बार सटोरियों को अबू सालेम ने फोन किया…
इस बार अबू ने सटोरियों को एक धमकी दे डाली…
इस बार फिर से सटोरियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा…
इस बार नुकसान का कारण बना अबू का फिल्म ‘यादें’ पर जारी फतवा…
….अबू ने फोन पर सटोरियों से कहा कि ‘यादें’ पर सट्टा न लगाएं वरना अंजाम बुरा होगा।
मुंबई गिरोहों के इतिहास में पहला मौका था, जब किसी फिल्म पर सट्टा न लगाने के लिए एक गिरोहबाज ने बुकियों को धमकाया हो। मुंबई में फिल्मों पर सट्टाखोरी जोरों पर थी। हर फिल्म पर ५०० से ८०० करोड़ रुपए के आसपास सट्टा लग रहा था। दो सप्ताह से जारी धमकियों के कारण सटोरियों और बुकियों में ऐसी घबराहट पैâली कि कई मुंबई से भाग निकले।
‘यादें’ बालीवुड की बड़ी फिल्म थी। उसके सुपरहिट होने के आसार पर जहां फिल्म बाजार में तगड़ा उफान था, वहीं सट्टा बाजार खासा गर्म था। ‘यादें’ पर भाव खोलने की पूरी तैयारी थी। बुकियों- सटोरियों को ‘लगान’ व ‘गदर’ पर कुल १,५०० करोड़ रुपए का सट्टा लगने से भारी लाभ हुआ था। बुकियों ने लगभग ४५० करोड़ रुपए कमाए थे। इससे तमाम बड़े बजट और कलाकारों की फिल्मों से अच्छी कमाई की उम्मीद रखते थे। इसके अलावा मानसून वक्त से पहले और बढ़िया होने से सटोरियों को अच्छा लाभ हुआ था। बारिश पर ५०० करोड़ रुपए का सट्टा लगा, जिसमें सटोरियों-बुकियों ने लगभग २०० करोड़ रुपए कमाए थे।
इस मोटी कमाई की जानकारी अबू को मिली। फिल्मों व बारिश की सट्टेबाजी पर दाऊद को सटोरिए-बुकी हफ्ता नहीं देते थे। फिल्मों पर सट्टे से शानदार कमाई की खबरें छपीं तो अबू को होश आया कि उसे सटोरियों से पैसे वसूलने चाहिए। उसने मुंबई, दिल्ली, जयपुर, कलकत्ता के सटोरियों को खुद फोन करके कहा कि बारिश के अलावा ‘लगान’ व ‘गदर’ पर लगाए सट्टे से हुई कमाई पर उसे हफ्ता दें वरना सबको हैरान कर देगा। उसने चेतावनी जारी कर दी कि ‘यादें’ पर सट्टा लगाने के पहले उसे हफ्ता पहुंच जाए। मुक्ता आर्ट्स निर्मित ‘यादें’ के निर्देशक सुभाष घई थे। करीना कपूर, रितिक रोशन, जैकी श्रॉफ अभिनीत फिल्म पर बढ़िया सट्टे की उम्मीद थी। एक सटोरिए के मुताबिक बड़ी फिल्मों ‘लज्जा’, ‘प्यार-इश्क-मोहब्बत’, ‘देवदास’ और ‘शरारत’ पर भी अच्छा भाव खुल सकता था। अबू की धमकी से इनका भाव भी नहीं खुलेगा। इनका प्रदर्शन इसलिए लटका क्योंकि ‘लगान’ और ‘गदर’ ने मुंबई के कुल ५५ बड़े व अच्छे सिनेमाघरों पर कब्जा जमा लिया था। अन्य फिल्मों के लिए थिएटर खाली न थे। इसी कारण सट्टा बाजार चुप बैठा था। उन्हें उम्मीद थी कि अबू की धमकी का कोई हल तब तक निकल आएगा। ‘लगान’ और ‘गदर’ के तब भी उतरने की उम्मीद न थी। एक तरफ जहां ‘गदर’ ने उत्तर भारत में चौथे सप्ताह में ९८ फीसदी कारोबार किया, वहीं लगान का प्रदर्शन ८७ फीसदी के साथ कुछ हल्का था।
डी-कंपनी को बतौर संरक्षण राशि सट्टा बाजार से एकमुश्त रकम जाती रही है। दाऊद उनसे एक से पांच करोड़ रुपए लेता था। इतनी ही रकम अबू ने भी मांगी। इससे सट्टा बाजार सहम गया। उन्हें चिंता सताने लगी कि अबू को पैसे दिए तो दाऊद नाराज होगा। पैसा न दिया तो अबू नाराज होगा। दोनों हालात में मौत का पैगाम तय था। अगर दोनों को पैसा दें, तो और गिरोहबाज पैसे मांगेंगे। बस, सट्टा बाजार ने तय किया कि जब तक मामले का निपटारा नहीं होता, तब तक फिल्मों पर सट्टे का भाव न खोलें। कुछ ही दिनों में सब कुछ अपने-आप तय हो गया। अबू लिस्बन में गिरफ्तार होकर भारत की गिरफ्त में आ गया। सटोरियों ने चैन की सांस ली। सट्टा फिर शुरू हो गया। लेकिन जब अबू ने धमकियां दीं तो एक बुकी ने बुरी तरह घबराकर कहा था:
– ‘खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा, हर हाल में कुरबान खरबूजा होगा। इधर खरबूजा अपुन लोग हैं।’

(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)

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