सैयद सलमान मुंबई
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और भेदभाव चिंता का विषय बन गई है। हाल के दिनों में, सांप्रदायिक हिंसा के दौरान बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के कई लोग हताहत हुए हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो गई है। अगस्त में तख्तापलट के बाद सत्ता कट्टरपंथियों के हाथ में आ गई है, तभी से वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कई हिंदू संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एक अच्छी बात इस बीच यह हुई है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ हिंदुस्थान में ‘ऑल इंडिया मुस्लिम जमात’ जैसे कई संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन किया है।
मसला इंसानियत का है
बांग्लादेश की इस समस्या पर भारतीय मुसलमानों को खुलकर बोलना चाहिए, क्योंकि यह न केवल मानवाधिकार का मामला है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव से भी जुड़ा हुआ मसला है। बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का बढ़ता प्रभाव और धर्मनिरपेक्षता का ह्रास हिंदुओं की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है। जब यहां का मुस्लिम समाज अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर आवाज उठाता है, अपने देश में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर बोलता है तो बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चुप रहना उचित नहीं है। दरअसल, यह मुद्दा हिंदू-मुसलमान का नहीं बल्कि इंसानियत का है। हिंदू मरे या मुसलमान, मरता तो इंसान ही है और सच्चे मुसलमान की यही पहचान है कि वह इंसानियत को मजहब के चश्मे से न देखे। मुसलमानों के खिलाफ हिंदुस्थान की धरती पर हो रहे जुल्म पर हिंदू भाइयों का एक बड़ा तबका खुलकर बोलता है। ऐसे में मुसलमानों की भी जिम्मेदारी है कि वह अपने हिंदू भाइयों के हक में आवाज बुलंद करें।
क्या कहता है कुरआन?
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और नागरिकों पर बढ़ रहे हमले से उनकी सुरक्षा खतरे में है। इस स्थिति में हिंदुस्थानी मुसलमानों का समर्थन महत्वपूर्ण है, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया जा सके। दरअसल, इस्लाम दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति संरक्षण की ताकीद करता है। कुरआन में कहा गया है कि इंसान को मानवता का खलीफा होने के नाते, सभी जीवों का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए (अल-कुरआन २:३०) यह आयत सृष्टि के संरक्षण के प्रति इंसान की जिम्मेदारी को बयान करती है। सृष्टि में इंसान भी तो आते ही हैं। इसमें धर्म, भाषा और जाति का कोई भेद नहीं है। पैगंबर मोहम्मद साहब ने भी अपने अनुयायियों को दया और करुणा के बारे में सिखाया। हदीसों में यह उल्लेख है कि जो व्यक्ति किसी जानवर या पक्षी पर दया दिखाता है, उसे अल्लाह की ओर से इनाम मिलेगा। यानी इस्लाम शांति और सुरक्षा का संदेश देता है। कुरआन में संरक्षण के बारे में कई आयतें हैं, जो इंसानियत और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को बयान करती हैं। कुरआन की सूरह ६:३८ में कहा गया है कि ‘जमीन पर चलनेवाले किसी जानवर और हवा में उड़नेवाले किसी पक्षी को देखो, ये सब तुम्हारी ही तरह की जातियां हैं।’ यह आयत सभी जीवों की समानता और उनको संरक्षण देने का संदेश देती हैं। सूरह १६:९० में आया है कि निश्चय ही अल्लाह न्याय का और सभी की भलाई का और रिश्तेदारों को (उनके हक) देने का आदेश देता है और अश्लीलता, बुराई और सरकशी से रोकता है। वह तुम्हें नसीहत करता है, ताकि तुम ध्यान दो- ‘यह आयत साफ-साफ इंसानों के बीच न्याय और दया की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जिससे समाज में सामंजस्य बना रहे। सूरह ५:३२ में तो यहां तक कहा गया है कि ‘अगर कोई एक व्यक्ति को मारता है तो मानो उसने पूरी मानवता को मार डाला।’ यानी एक व्यक्ति की हत्या का अर्थ पूरे समाज की हत्या के समान है। यह आयत जीवन के प्रति इस्लाम की गहरी संवेदनशीलता को साबित करती है।
अल्पसंख्यकों का ख्याल
यह बात साफ है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर ज्यादती हो रही है। क्या यही हाल हिंदुस्थान का नहीं है? यहां के मुसलमानों पर पिछले एक दशक में मॉब लिंचिंग, कपड़ों से पहचानो, जय श्रीराम बोलो, मुल्ले काटे जाएंगे, बुलडोजर चलाओ, गोली मारो, मुकदमों में फंसाओ का जबरदस्त खेल खेला जा रहा है। मुसलमान अगर उस दर्द को समझ रहा है तो उसे अपने बांग्लादेशी हिंदू भाइयों के दर्द को समझना होगा। अगर दोनों तरफ के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होंगे तो फिर हिंदुस्थान और बांग्लादेश में क्या अंतर रह जाएगा? दरअसल, हर मुल्क के बहुसंख्यक की जिम्मेदारी है कि वह अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखें। इस मामले में अखंड भारत का हिस्सा रहे तीनों देश हिंदुस्थान, पाकिस्तान और बांग्लादेश आज नाकाम साबित हो रहे हैं। तीनों जगह के अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। इसके राजनीतिक कारणों पर न जाकर सामाजिक और मानवीय पहलू पर विचार करने की जरूरत है।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)