सामना संवाददाता / नई दिल्ली
गृह मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्राॅड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) के मुताबिक, वर्ष २०२४ में नवंबर माह तक साइबर फ्राॅड की लगभग १२ लाख शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर के आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष के पहले नौ महीनों में साइबर फ्राॅड की वजह से ११,३३३ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल (प्रहार) का मानना है कि अपराध पर लगाम नहीं लगी तो वर्ष २०३३ तक हर वर्ष भारत में सालाना एक लाख करोड़ के साइबर अटैक होंगे। साइबर अटैक में ऑनलाइन फ्राॅड और सेक्टार्शन जैसी चीजें ही शामिल नहीं हैं। इनमें डाटा चोरी, रैनसमवेयर, आनलाइन हेट क्राइम, साइबर बुलिंग, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सेवाओं पर साइबर अटैक, आइडेंटिटी थेफ्ट, अवैध सट्टेबाजी एप जैसी कई चीजें शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल किसी देश की आर्थिक व्यवस्था व आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने में किया जा सकता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मुक्तेश चंदेर का कहना है कि साइबर अटैक का इस्तेमाल किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी को कमजोर करने में हो सकता है। एस्टोनिया में हमने ऐसा देखा है। ‘प्रहार’ के राष्ट्रीय संयोजक अभय मिश्रा के मुताबिक, साइबर अटैक किसी देश की आंतरिक सुरक्षा व उनकी आर्थिक व्यवस्था को कमजोर करने का टूल बनता जा रहा है।