मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनावक्त आज हमको जगाने लगा है

वक्त आज हमको जगाने लगा है

वक्त आज हमको जगाने लगा है।
सितम देश दुनिया में छाने लगा है।।

कैसे कहें हम हबस की कहानी।
आदमी अब इसे ही भुनाने लगा है।।

यह जो सियासत चली है इधर से।
मौसम इसी में समाने लगा है।।

क्या कह के हम सब पुकारें समय को ।
रोते हुए गीत गाने लगा हैं ।।

विचारों की दुनिया में यह क्या हुआ है ।
गलत को सही वह बताने लगा है।।

इधर प्यार को है मुसीबत ने घेरा ।
उधर से नया शोर आने लगा है ।।

सियासत पर पूँजी का सिक्का लगा है ।
लालच यहां सिर हिलाने लगा है ।।

मतलब को देखो विधाता हुआ है ।
समय बेसमय कुलबुलाने लगा है ।।

देख कर हम दुखी हैं जमाने की चालें ।
व्यथित मन कथा अब सुनाने लगा है ।।

कोई आ के हमसे इशारों में कहता ।
देखो समय दूर जाने लगा है ।।

दिशाहीनता ने तमाशा किया है।
कोई आज हमको बताने लगा है।।

उठो उठ के अब तो गुनाहों से कह दो।
शराफत भी अब सर उठाने लगा है ।।

नफरत हिलाता रहा है समय को।
मुहब्बत हमें अब बुलाने लगा है।।

वक्त आज हमको जगाने लगा है।
सितम देश दुनिया में छाने लगा है ।।

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