सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय रेलवे ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है, जो जल्द ही परीक्षण के लिए पटरियों पर उतरेगा। इस ट्रेन की शुरुआत का समय इन परीक्षणों की सफलता पर निर्भर करेगा। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि यह ट्रेन लंबी और मध्यम दूरी की यात्राओं के लिए डिजाइन की गई है और यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस है।
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में कवच तकनीक, जो ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिजाइन की गई है, को शामिल किया गया है। यह ट्रेन एचएल फायर सेफ्टी मानकों के अनुरूप है, साथ ही इसमें व्रैâशरोधी डिजाइन और झटकेमुक्त सेमी-पर्मानेंट कपलर लगाए गए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए इन ट्रेनों में आपातकालीन संवाद प्रणाली, दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष शौचालय, केंद्रीय रूप से नियंत्रित दरवाजे और सीसीटीवी वैâमरे जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं। ऊपरी बर्थ पर चढ़ने के लिए आरामदायक सीढ़ी और यात्री सुविधाओं की निगरानी के लिए सेंट्रलाइज्ड कोच मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाया गया है।
कम समय में पूरा होगा सफर
यह ट्रेन तेज गति के साथ कम समय में गंतव्य तक पहुंचने में सक्षम है। नया ब्रेकिंग सिस्टम इसे ऊर्जा कुशल बनाता है। इसके अलावा, यात्रियों को अधिक आरामदायक सफर का अनुभव मिलेगा। मंत्री ने बताया कि २ दिसंबर, २०२४ तक भारतीय रेलवे में वंदे भारत चेयर कार की १३६ सेवाएं संचालित हो रही हैं। इनमें से १६ ट्रेनें तमिलनाडु के विभिन्न स्टेशनों को जोड़ रही हैं। सबसे लंबी दूरी की वंदे भारत सेवा दिल्ली और बनारस के बीच ७७१ किलोमीटर का सफर तय करती है। रेल मंत्री ने कहा कि नई ट्रेन सेवाओं का परिचालन यात्रियों की मांग, संचालन की व्यवहार्यता और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।