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लाड़ली बहन योजना की वैधता पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब …१५ जनवरी से पहले सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई
हाई कोर्ट ने ‘लाड़ली बहन’ और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की वैधता को लेकर उठे संदेह पर राज्य सरकार को १५ जनवरी से पहले जवाब दाखिल करने का सख्त आदेश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि ‘लाड़ली बहन’ जैसी योजनाओं पर भारी खर्च के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति और खराब हो रही है। इस पर कोर्ट ने सरकार को हलफनामे के जरिए अपनी स्थिति स्पष्ट करने की डेडलाइन दी।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडापल्लीवार ने ‘लाड़ली बहन’ और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उनकी याचिका पर नागपुर बेंच के जस्टिस नितिन सांबरे और जस्टिस वृषाली जोशी की बेंच ने राज्य सरकार से अक्टूबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा था। सरकार उस समय सीमा को पूरा नहीं कर पाई। इस पर नाराजगी जताते हुए बेंच ने सरकार को १५ जनवरी तक की डेडलाइन दी है। नई कल्याणकारी योजनाएं सरकार की राजकोषीय जिम्मेदारी के साथ-साथ बजट प्रबंधन अधिनियम में निर्धारित राजकोषीय मानदंडों का उल्लंघन करती हैं। याचिकाकर्ता वडापल्लीवार ने दावा किया है कि इन योजनाओं पर अत्यधिक खर्च असंवैधानिक है।

योजनाओं के नतीजों का ब्योरा मांगा
‘लाड़ली बहन’ जैसी योजनाओं पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि आवश्यक सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए धन कम पड़ रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने याचिकाकर्ताओं को योजनाओं के वित्तीय परिणामों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिका में संशोधन की भी इजाजत दे दी।

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