सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा और शिंदे गुट के बीच में चल रहे विवाद को लेकर उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने वेट एंड वॉच की भूमिका अख्तियार करने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपने मंत्रियों और नेताओं को सख्त निर्देश दिया है कि महायुति के संदर्भ में किसी भी प्रकार का सार्वजनिक बयान न दें। शिंदे और भाजपा के बीच जहां दूरियां बढ़ती जा रही हैं, वहीं फडणवीस और अजीत पवार करीब आते जा रहे हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दादा सहभागी हो रहे और एकनाथ शिंदे गायब हो रहे हैं। बता दें कि प्रत्येक विभाग के लिए मुख्यमंत्री ने १०० दिनों का लक्ष्य निर्धारित किया है। एक तरह से मंत्री को अपने काम की प्रगति पुस्तिका पेश करनी होती है। फडणवीस ने मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को पूरा करने की निर्धारित तारीखों में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। फडणवीस के इस निर्देश को शिंदे गुट के मंत्री अपने विभाग में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की बात कह रहे हैं।
पालक मंत्री पद को लेकर भड़की पहली चिंगारी
महायुति सरकार में विवाद की पहली चिंगारी पालक मंत्री की नियुक्ति को लेकर भड़की थी। नासिक और रायगड जिले के पालक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर बीजेपी और शिंदे गुट एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होने की तस्वीर सामने आ रही है। फडणवीस ने ३६ जिलों के लिए पालक मंत्रियों की घोषणा की। रायगड जिले के पालक मंत्री का पद अजीत पवार गुट की विधायक अदिति तटकरे को सौंपा गया, जबकि नासिक के पालक मंत्री का पद भाजपा के गिरीश महाजन को सौंपा गया। हालांकि, शिंदे गुट के दो नेताओं ने इस नियुक्ति का कड़ा विरोध किया।