-जनता की हो रही है उपेक्षा
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में आम लोगों की शिकायतों और समस्याओं को सरकारी तंत्र से तुरंत हल करने के प्रभावी उपाय के रूप में मंत्रालय के साथ-साथ कलेक्टोरेट, मनपा, नगरपालिका और संभागीय आयुक्त स्तर पर लोकशाही (जनसुनवाई) दिवस मनाया जाता है। मंत्रालय में हर महीने के पहले सोमवार को मुख्यमंत्री की उपस्थिति में लोकशाही दिवस आयोजित करने की परंपरा थी, लेकिन शिंदे-फडणवीस सरकार के दौरान मंत्रालय में ऐसी कोई सार्वजनिक सुनवाई नहीं हुई है। यह सामान्य बात हो गई है कि तालुका-जिला स्तर पर समस्याओं का समाधान नहीं होता और शिकायतों की सुनवाई मंत्रालय में भी नहीं होती। इस स्थिति में आम जनता की फजीहत हो रही है।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने सितंबर २०१२ में ही एक आदेश जारी कर लोकशाही दिवस का आयोजन किस स्तर पर और कब करना है, इसकी घोषणा कर दी थी। वर्तमान में लोकशाही दिवस तालुका और जिला स्तर पर मनाया जाता है, लेकिन लोगों की शिकायत है कि इस लोकशाही दिवस पर प्रस्तुत की गई शिकायतों का समाधान नहीं किया जाता है। यदि तालुका, कलेक्टर स्तर पर शिकायतों का समाधान नहीं होता है तो आम लोगों को लोकशाही दिवस की सुनवाई के लिए मंत्रालय दौड़ना पड़ता है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि शिंदे-फडणवीस के सत्ता में आने के बाद से एक बार भी लोकशाही दिवस पर सुनवाई नहीं हुई है। मौजूदा स्थिति यह है कि निचले स्तर पर मुद्दों का समाधान नहीं हो पा रहा है और मंत्रालय में सुनवाई नहीं हो रही है।