सामना संवाददाता / प्रयागराज
यूपी सरकार ने महाकुंभ में ६० करोड़ से ज्यादा लोगों के नहाने का दावा किया है। हाल ही में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा के पानी के दूषित होने की रिपोर्ट दी है। हालांकि, सीएम योगी ने इस रिपोर्ट को नहीं माना है। अब स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि गंगा में सीवर या गंदगी के गिरने की बात सही है। शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि दिल्ली की सारी मीडिया, सारे यूट्यूबर्स डेढ़-दो महीने से गंगा किनारे डेरा डाले हुए हैं। आखिर उनको गंगा में गिरता सीवर का पानी क्यों नहीं दिखा? इस मुद्दे को उठाने से मीडिया क्यों बचती रही?
बता दें कि कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर ८ में कलश द्वार के ठीक सामने सलोरी साइड से एक बहुत बड़े सीवर से हरहराकर गंदा मलयुक्त पानी गिर रहा है और गंगा में जाकर मिल रहा है। ठीक इसी के बगल में हजारों भैंसों का तबेला स्थित है, उनका मलमूत्र भी इसी सीवर के साथ बहकर गंगा में जा रहा है। सिर्फ सलोरी ही नहीं, बल्कि अरैल, झूंसी, छतनाग आदि जगहों से सीवरों से होकर शहर का मलयुक्त पानी गंगा और जमुना में गिर रहा है।
क्या है रिपोर्ट में?
बीते दिनों राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में गंगा के पानी में फीकल कोलीफॉर्म की बढ़ी मात्रा की पुष्टि होने के बाद यहां पहुंचे कई लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कानपुर से गंगा किनारे कल्पवास करने आर्इं शांति देवी क्षुब्ध हैं। वो कहती हैं कि सरकार को इतना बड़ा धोखा नहीं देना चाहिए था। उन्होंने करोड़ों लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया है।