हिमांशु राज
महाकुंभ ४५ दिन के समापन के साथ काशी में स्वामी अवधेशानंद गिरि जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर मार्गदर्शन में शिवरात्रि के पर्व पर वृहद, विहंगम आयोजन हुआ। इस दौरान हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे को याद करते हुए अवधेशानंद गिरि ने कहा, `बालासाहेब ठाकरे हिंदुओं के दिलों के राजा थे। भारतीय राजनीति में प्रखरता से हिंदुत्व की बात रखने वाले पहले राजनेता थे।’
काशी में महाकुंभ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा, `कुंभ मनुष्य और जल के मिलन का संगम है। जल ही जीवन है। वैज्ञानिक पक्ष ने भी जल को जीवन के रूप में स्वीकार किया है या यूं कहें कि जल जीवन का परमतम आवश्यक तत्व है। जल आदि काल से सभी जीवों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है, क्योंकि वह जीवन का आधार है। मनुष्य का शरीर पंचतत्व से निर्मित है और अंत में वह जल में ही समाहित हो जाता है। कुंभ स्नान इसी दर्शन का द्योतक है। करोड़ों लोगों का महाकुंभ में स्नान करना उनके और जल के नैसर्गिक आत्मिक संबंध परिचायक है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्म की परम अवस्था नाद बिंदु की है। बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति नाद को सुन सकता है। बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति शिव की शक्ति का अनुभव करता है, जिसे वह नाद या शब्द ब्रह्म के रूप में सुनता है। कुंभ इसी का मिलन है। इन दोनों के सम्मिलन से मनुष्य परम गति को प्राप्त होता है। काशी केंद्र है, जहां शिव और शिवा का मिलन होता है। शिव पुराण के अनुसार, नाद और बिंदु के मिलन से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। नाद अर्थात ध्वनि और बिंदु अर्थात प्रकाश। ज्योतिषीय गणना के आधार पर जब गुरु वृषभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मकर राशि में तब मकरस्थ कुंभ पड़ता है, जो कि प्रयागराज में आयोजित होता है। बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होता है, तब सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है। यह मेला नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। कुंभ सनातन धर्म का अलौकिक आयोजन है, जो दैवीय कृपा के आवरण में संपन्न होती है। परमात्मा स्वयं इसके साक्षी होते है।