फिरोज खान
झारखंड के खूंटी जिले में शादी समारोह था। पास के गांव की लड़कियां झुंड बनाकर शादी में पहुंची थीं। शादी में शामिल होने के बाद पांचों लड़कियां जिनकी उम्र १२ से १६ वर्ष के बीच थी, आपस में शोरगुल और मस्ती करते हुए घर लौट रही थीं। सभी शादी के खाने की तारीफ में मशगूल थीं। इस बीच अलग-अलग मोटरसाइकिल पर सवार १८ बच्चे जिनकी उम्र १२ से १७ वर्ष के बीच थी, पहुंच गए। लड़कों ने सभी लड़कियों को पहले तो खूब धमकाया और मार डालने की बात कही। घबराई हुई लड़कियां जब सिसकने लगीं तो लड़के उन्हें जबरन मोटरसाइकिल पर बिठाकर दूर वीरान पहाड़ी पर ले गए। वहां सभी १८ बच्चों ने घेरा बनाकर लड़कियों को वैâद कर लिया। इसके बाद उनका घिनौना खेल शुरू हो गया। लड़के जबरदस्ती करने लगे तो लड़कियों ने शोर मचाना शुरू किया, लेकिन गांव से दूर वीरान पहाड़ी पर उनकी आवाज सुननेवाला कोई नहीं था। लड़के लड़कियों के कपड़े फाड़ ही रहे थे कि तभी दो लड़कियों ने आरोपी लड़कों के हाथ पर अपने दांतों से जोर से काटा और वहां से किसी तरह भाग निकलीं, लेकिन बाकी तीन लड़कियां वहां से भागने में कामयाब नहीं हुर्इं। इसके बाद उन १८ आरोपी लड़कों ने बारी-बारी से उनके साथ मुंह काला किया। पीड़ित लड़कियां आरोपी लड़कों को पहचान रही थीं, क्योंकि सभी पास के ही गांव के रहनेवाले थे। लड़कियां रो-रोकर गिड़गिड़ा रही थीं कि वे उन्हें छोड़ दें, लेकिन छोटी सी उम्र में ही वहशी बने लड़कों ने उनकी एक न सुनी। तीनों बच्चियों के जिस्म के साथ वे खेलते रहे और उनकी जिंदगी बर्बाद करते रहे। दूसरी ओर बच निकली लड़कियां किसी तरह हांफते हुए गांव पहुंची और गांव वालों को सारा किस्सा कह सुनाया। लड़कियों की बात सुन पूरे गांव में हड़कंप मच गया। गुस्साए गांव वाले हाथों में लाठी और डंडा लेकर पहाड़ी की ओर दौड़ पड़े। गांव वाले जब तक पहुंचते लड़कियों की आबरू लुट चुकी थी। खैर, भाग रहे उन लड़कों को गांव वालों ने पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। नाबालिग होने के नाते उन बच्चों को बालसुधार गृह भेज दिया गया। गांव हो या शहर छोटी लड़कियों को अकेले कहीं भेजना खतरे से खाली नहीं होता। माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दें, ताकि वे गुमराह न हों।