उमेश गुप्ता / वाराणसी
जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांशनाथ का जन्म जयंती महोत्सव बड़े ही धूमधाम से सारनाथ स्थित भगवान श्रेयांश नाथ की जन्मस्थली पर मनाया गया। इस अवसर पर जैन समाज द्वारा भगवान श्रेयांश नाथ को चांदी की नाल की पर सवार कर गाजे बाजे के साथ सारनाथ के क्षेत्र में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा अत्यंत प्राचीन सोने चांदी के साज सामानों से शोभा यात्रा की शोभा को बढ़ाया गया। जैन समाज द्वारा भगवान की अष्टधातु की प्रतिमा को चांदी की नाल की पर विराजमान कर उपस्थित महिलाएं और पुरुष बड़े ही भक्ति भाव से भजन की प्रस्तुति कर रहे थे। इस अवसर पर प्रस्तुत भजन एक दिन जब मौत की शहजादी आएगी न सोना काम आएगा न चांदी काम आएगी। तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा। मेटो मेटो जीसंकट हमारा। जग के दुख की तो परवाह नहीं है, सर्व सुख की भी चाह नहीं है। इत्यादि भजन उपस्थित लोगों के मन को मोहित कर रहे थे।
शोभा यात्रा में महिलाएं केसरिया साड़ी में तो पुरुष अधिकतर सफेद कुर्ता- पैजामा जैसे ड्रेस कोड में थे। शोभा यात्रा मंदिर के द्वार से प्रारंभ हो कर सारनाथ में ही परिक्रमा लगाते हुए पुनः मंदिर परिसर में आ कर समाप्त हुई। तत्पश्चात विश्व शांति हेतु भगवान श्रेयांश नाथ की अष्ट धातु की 12″ की प्रतिमा और 12 फिट ऊंची विशाल पदमांसन प्रतिमा का 108 स्वर्ण और रजत कलशों से पूजन और पंचांभिषेक किया गया। जुलुस का संचालन समाज के उपाध्यक्ष और संयोजक राकेश जैन द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता जैन समाज के अध्यक्ष आर सी जैन और डॉ. केके जैन ने किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री प्रदीप चंद जैन, समाज मंत्री विनोद जैन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर संरक्षक दीपक जैन, विनय जैन, संजय जैन, आदिश जैन, विमल जैन, सुधीर कुमार पोद्दार, पवन जैन,दीपक जैन, अजय जैन इत्यादि प्रमुख लोग मौजूद थे।