मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृति'कहानी संस्कार देती है' : सूर्यबाला

‘कहानी संस्कार देती है’ : सूर्यबाला

‘प्रेम में आत्मसम्मान जरूरी है’ : सुदर्शना द्विवेदी
‘जीवन के कातर क्षणों में उन्होंने दिये विश्वास के हल्दी चावल : हरीश पाठक
सामना संवाददाता / मुंबई

‘कहानी लिखना आसान काम नहीं है। कहानी संस्कार देती है। यही संस्कार जीवन में, जगत में सफलता दिलवाते हैं। सुदर्शना द्विवेदी की कहानियां जीवन का दस्तावेज हैं’। ‘यह विचार प्रख्यात कथाकार सूर्यबाला ने एस एन डी टी महिला कॉलेज व कथा के संयुक्त आयोजन ‘सर्जना:साहित्य व संस्कृति में स्त्री स्वर’ के अंतर्गत कथाकार,पत्रकार सुदर्शना द्विवेदी की पुस्तक ‘कुछ रंग,कुछ कहानियाँ’ पर आयोजित संवाद में व्यक्त किये। छात्राओं के बीच इस अलग तरह के आयोजन में भारी भीड़ थी।

सुदर्शना द्विवेदी के व्यक्ति पक्ष व उनकी रचनात्मकता पर बोलते हुए कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा,’पांच दशक की उनकी रचनात्मकता बेबाकी का वह कालखंड है जहां सिर्फ और सिर्फ सच खड़ा है। जीवन के कातर क्षणों में उन्होंने मुझे दिये हैं विश्वास के हल्दी चावल’।

अभिनेत्री, कवयित्री रेखा बब्बल ने उनकी कहानी ‘पहेली’ का पाठ किया जिस पर श्रीमती कमलेश पाठक,चित्रा देसाई, डॉ रीता दास राम,डॉ अलका अग्रवाल व कई छात्रओं ने सवाल किये।

सभी सवालों का उत्तर देते हुए सुदर्शना द्विवेदी ने कहा,’कोशिश से कहानी तो नहीं ही लिखी जा सकती।वह भावनाओं के अतिरेक का प्रतिफल है।प्रेम एक उदात्त भावना है।वह किया नहीं जाता,हो जाता है।प्रेम में आत्मसम्मान जरूरी है।’

प्राचार्य प्रो अदिति सावंत व प्रकुलगुरु प्रो रूबी ओझा ने भी संबोधित किया।संयोजन हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ वंदना शर्मा व ‘कथा’ के हरीश पाठक ने किया।

डॉ हूबनाथ पांडेय,द्विजेन्द्र तिवारी,कुमार पार्थसारथी,सविता मनचंदा,मधु मेहता,सुषमा गुप्ता सहित कला,साहित्य,संस्कृति के कई लोग सभागार में मौजूद थे।

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