सामना संवाददाता / मुंबई
आरएसएस के नेता भय्याजी जोशी ने मराठी का अपमान करने वाला विवादित बयान दिया था। इसके बाद विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ दल को जोरदार तरीके से निशाने पर लिया। हालांकि, इस बयान से ध्यान हटाने के लिए अनिल परब द्वारा दिए गए बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए कल सत्ताधारी दल ने ही हंगामा शुरू कर दिया। इसलिए सदन का कामकाज तीन बार स्थगित करना पड़ा। आरएसएस के नेता भय्याजी जोशी ने कहा था कि घाटकोपर की भाषा गुजराती है। मुंबई में मराठी बोलना चाहिए, ऐसा नहीं है। इन शब्दों का इस्तेमाल कर एक तरह से उन्होंने मराठी भाषा का अपमान किया। उस पर विपक्षी दलों ने गुरुवार को सत्ताधारियों को विधानमंडल के दोनों सदनों में जमकर निशाने पर लिया। इस विवादित बयान से ध्यान हटाने के लिए दोपहर १२ बजे जैसे ही सदन का कामकाज के दौरान प्रश्नोत्तर काल शुरू होने वाला था, वैसे ही अनिल परब के सदन में दिए गए बयान पर आपत्ति जताई। इसे लेकर सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच सभापति राम शिंदे ने दोनों तरफ के सदस्यों को रोकने की कोशिश की। इस दौरान सदन का कामकाज चलता रहे और समय की बर्बादी न हो यह स्पष्ट करते हुए परिषद के नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने अनिल परब के बयान पर खेद जताया। इस दौरान अनिल परब ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज की पूजा करता हूं। उन्हें देवता मानता हूं और मैंने खुद की तुलना उनसे नहीं की हूं। राज्यपाल का भी अपमान नहीं किया हूं। इसलिए माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है।