हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री का सच में हमने महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव पर काफी कुछ लिखा। ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है, जो इस तरह के अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने में कामयाब रही हैं। डैश रंबल और कैटलिन बेकर उनमें से एक हैं।
उसने अभी-अभी बस रेस्टोरेंट ज्वाइन किया था। वैसे भी जब आप नए एम्प्लॉय होते हैं तो अक्सर आपको कुछ ऐसे तत्व जो सेडेटिव होते हैं या फिर महिलाओं को उत्पीड़न करने के आदी होते हैं, उनका निशाना बनना पड़ता है।
अभी-अभी वह जब टेबल पर सर्व कर रही थी तो एक पुरुष कस्टमर ने उसका हाथ पकड़ लिया था। उसने उसे मेज पर खींचा और उसके शरीर के कुछ हिस्सों को छूने की कोशिश की। उसे तकलीफ इस बात की हो रही थी कि उसके सहकर्मियों ने कस्टमर की उस हरकत को अनदेखा कर दिया और न ही उसे मदद करने सामने आए, वे सीनियर सहकर्मी थे।
जब उसने इस अभद्रता की शिकायत अपने मैनेजर से की तो उसने कोई गंभीरता प्रकट नहीं की। उसे बुरा इस बात का भी लगा था कि मैनेजर ने उल्टे सवाल किया, `कस्टमर ने और कुछ बदतमीजी तो नहीं की…?’
कुछ वक्त बीता ही था कि उसे और एक आश्चर्य का झटका लगा। उसके एक वरिष्ठ सहकर्मी ने उसका हाथ थाम लिया था। उसके अप्रत्याशित हमले से वो सकते में आ गई थी।
उसके साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं एक बार नहीं, कई दफा हुर्इं।
एक दिन उसके एक सहकर्मी ने उससे पूछ लिया था कि उसे कौन सी पोजीशन ज्यादा अच्छी लगती है? कई बार उसे असली चित्र दिखाए गए थे। हर बार या तो उसे ऐसा लगता था कि वह इसकी रिपोर्ट करने के लिए पर्याप्त आश्वस्त नहीं है या फिर उसे लगता था कि यदि उसने ऐसा किया तो उसे समर्थन नहीं मिलेगा।
यह बात तो यौन उत्पीड़न की थी, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़ती गर्इं, उन्हें लैंगिक भेदभावपूर्ण रवैए का भी सामना करना पड़ा तथा लोग मैनेजर पद पर एक महिला के रूप में उनका सम्मान नहीं करते थे। लेकिन वह अब हार मानने वालों में से नहीं थी। उसने पक्का मन बना लिया था कि हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में छाई इस गंदगी के खिलाफ तो आवाज उठाएंगी।
आज वह मालकिन है कई रेस्टोरेंट की। इसके अलावा वह न केवल सच और सच की सह-मालकिन हैं, बल्कि वैâनबरा के पायलट की भी सह-मालकिन हैं, क्योंकि वह जानती है कि इस इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ उत्पीड़न आम बात है। उन्होंने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि उनके ग्रुप के सभी रेस्टोरेंट व अन्य होटल में महिलाओं के साथ न तो छेड़छाड़ हो और न उनका लैंगिक भेदभाव।
एक अन्य महिला जिन्होंने हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में किसी तरह की इसी तरह के भेदभाव का सामना किया था, उन्होंने भी हार न मानने की ठान ली। पहले किरदार का नाम है डैश रंबल और दूसरे किरदार का नाम है वैâटलिन बेकर। पुरस्कार विजेता ये महिलाएं हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में व्याप्त लैंगिक भेदभाव और उत्पीड़न से निपट रही हैं। उन्होंने वीनस विनिफेरा नामक एक संगठन की भी स्थापना की है। यह संगठन कई तरह से महिलाओं को जागरूक करने से लेकर हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में इस तरह के भेदभाव से वैâसे निपटा जाए आदि पर काम करती हैं।
हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाएं भले ही आम है, लैंगिक भेदभाव की घटनाएं रोज का हिस्सा हैं, लेकिन इससे निपटने के कई तरीके भी हैं। बहुत सारी संस्थाएं हैं, जो आपको मदद कर सकती हैं। इसके अलावा सरकारी तौर पर भी आपको कानूनी मदद मिल सकती है। बेकर और रंबल उदाहरण हैं उन महिलाओं की, जिन्होंने हार नहीं मानी हैं। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाती हैं और सफल भी होती हैं।