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प्रोजेक्ट पड़ताल : प्रभादेवी ब्रिज टूटेगा तो ट्रैफिक का पहाड़ टूटेगा! …तिलक ब्रिज हो जाएगा ओवरलोड …दादर में भी होगी जाम की समस्या

ब्रिजेश पाठक

शिवड़ी-वर्ली कनेक्टर बनाने के लिए एमएमआरडीए प्रभादेवी ब्रिज को तोड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि, ट्रै्रफिक पुलिस ने अब तक अनुमति नहीं दी है, लेकिन अंदेशा जताया जा रहा है कि त्वरित अनुमति मिल जाएगी। वैसे इस पुल के गिरने के बाद मुंबईकरों की परेशानी बढ़ जाएगी। नागरिकों पर ट्रैफिक का पहाड़ टूटेगा। वहीं पूर्व में जाने के लिए एकमात्र तिलक ब्रिज है। इस ब्रिज पर वाहनों की कतार लग जाएगी।
इस निर्माण कार्य को पूरा करने में दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है, लेकिन एमएमआरडीए के रिकॉर्ड को देखते हुए अगर इस प्रोजेक्ट में देरी होगी तो हैरानी की बात नहीं है। प्रभादेवी ब्रिज पर प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं, जो जाहिर करता है कि इस ब्रिज के टूटने से समस्याएं उत्पन्न होने वाली हैं।
सबसे पहली समस्या है कि वाहन चालक को पूर्वी एक्सप्रेसवे के लिए या दादर स्थित तिलक ब्रिज का रुख करना होगा, जिससे दादर में ट्रैफिक समस्या बढ़ सकती है। दूसरा विकल्प एनएम जोशी मार्ग का होगा, जो थोड़ा दूर पड़ेगा। तीसरा है एमएमआरडीए के काम में सुस्ती रहेगी तो लोगों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं यानी उन्हें फुर्ती दिखाते हुए प्रोजेक्ट पूरा करना होगा।
एमएमआरडीए के मुताबिक, पुल को दो-मंजिला संरचना से बदला जा रहा है, जिसमें निचली मंजिल पूर्व-पश्चिम संपर्क बनाए रखेगी और ऊपरी मंजिल इसे शिवड़ी-वर्ली कनेक्टर अटल सेतु से जोड़ेगी। एमएमआरडीए ने ४.५ किलोमीटर के एलिवेटेड रोड के निर्माण का प्रस्ताव दिया है, जिससे अटल सेतु से आने वाले वाहन सीधे वर्ली पहुंच सकें और वहां से दक्षिण मुंबई या बांद्रा की ओर यात्रा कर सकें। रेलवे लाइनों के ऊपर का कार्य महाराष्ट्र रेल इंप्रâास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (महारेल या एमआरआईडीसी) द्वारा किया जाएगा, जो पटरियों के ऊपर एक दो-मंजिला पुल का निर्माण करेगा।

एलफिंस्टन रोड ओवर ब्रिज के बंद होने से उत्पन्न होने वाले यातायात दबाव को कम करने के लिए अधिकारियों को वैकल्पिक मार्गों की योजना बनानी होगी और तिलक ब्रिज के पुनर्निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करना होगा। इससे दादर और आस-पास के क्षेत्रों में यातायात की भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और यात्रियों को होने वाली असुविधा को कम किया जा सकेगा।’
-अनिल गलगली (आरटीआई एक्टिविस्ट)

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