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अंधेरी ईएसआईसी अस्पताल की तैयारी अधूरी …मेडिकल कॉलेज की मंजूरी, पर खुद ही इलाज को मोहताज

-स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी पर उठे सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के अंधेरी स्थित ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल को लेकर हाल ही में मुंबई हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि इसे जनवरी २०२६ तक दोबारा शुरू किया जाए। हालांकि, अस्पताल में अब भी मरम्मत और नवीनीकरण का कार्य जारी है, बावजूद इसके देश के १० ईएसआईसी अस्पतालों में से एक के रूप में इसे चुना गया है, जहां नया मेडिकल कॉलेज शुरू किया जाना है। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या यह अस्पताल मेडिकल कॉलेज चलाने के लिए तैयार है?
रिपोर्ट की मानें तो इस कॉलेज के लिए ५० मेडिकल सीटें निर्धारित की गई हैं। हालांकि, आवश्यक मेडिकल उपकरणों की खरीद और स्टाफ की भर्ती की प्रक्रिया अब तक अधूरी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया है कि अभी तक टेंडर तक जारी नहीं किए गए हैं, जिससे तैयारी की वास्तविक स्थिति सामने आती है।
यह अस्पताल कई वर्षों से बंद है, जिसके कारण बीमा योजना के तहत आने वाले मरीजों को दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। पहले जहां सभी सेवाएं नि:शुल्क मिलती थीं, अब मरीजों को दूर-दराज तक यात्रा करनी पड़ रही है, जिससे उनका समय, पैसा और स्वास्थ्य—तीनों पर असर पड़ रहा है। खासकर डायलिसिस जैसी नियमित सेवाओं के लिए अन्य अस्पतालों पर निर्भरता काफी भारी पड़ रही है।
यह स्थिति प्रशासनिक उदासीनता और योजनाओं के अधूरे क्रियान्वयन को दर्शाती है। जब तक अस्पताल को पूरी सुविधाओं के साथ कार्यशील नहीं बनाया जाता, तब तक न मेडिकल कॉलेज शुरू हो सकता है और न ही मरीजों को उनकी अपेक्षित सेवाएं ही मिल सकती हैं। सरकार को शीघ्र ठोस कदम उठाने होंगे ताकि ईएसआईसी अंधेरी अस्पताल वास्तव में जनहित में कार्य कर सके।

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