मुख्यपृष्ठनए समाचार13,091 खतरनाक इमारतों से म्हाडा की उड़ी नीद! 

13,091 खतरनाक इमारतों से म्हाडा की उड़ी नीद! 

-इमारतों के पुनर्विकास हेतु ‘म्हाडा’ का जनजागृति अभियान

सामना संवाददाता / मुंबई

म्हाडा रिपेयर बोर्ड अंतर्गत आने वाले दक्षिण मुंबई की करीब 14 हजार खतरनाक इमारतों ने बरसात पूर्व म्हाडा की नीद उड़ा दी है। सेसप्राप्त इमारतों में से निवास के लिए असुरक्षित अत्यंत खतरनाक इमारतों का पुनर्विकास शासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। आगामी मानसून में संभावित दुर्घटनाओं से बचने हेतु म्हाडा द्वारा इन इमारतों की संरचनात्मक जांच की जा रही है तथा पुनर्विकास प्रक्रिया को गति देने के लिए म्हाडा अधिनियम में संशोधन कर नया धारा 79(अ) लागू किया है। इस पृष्ठभूमि में बोर्ड द्वारा संबंधित हाउसिंग सोसायटियों को जनजागृति हेतु पत्र भेजा जा रहा है।
गौरतलब है कि जब बरसात आने वाली रहती तो मुंबई की पुरानी व जर्जर हो चुकी सेसप्राप्त इमारतों को लेकर म्हाडा और प्रशासन की नीद उड़ जाती है। तकरीबन 14 हजार इमारतों में लाखों लोग अपनी जान हथेली पर रख कर जीते हैं। म्हाडा रिपेयर बोर्ड ने इन खतरनाक इमारतों का पुनर्विकास करने की जन जागृति अभियान चलाया है। ‘म्हाडा’ के उपाध्यक्ष तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव जायसवाल ने पहले चरण के अंतर्गत 500 सेसप्राप्त इमारतों की संरचनात्मक जांच (स्ट्रक्चरल ऑडिट) के आदेश संबंधित अधिकारियों को इस वर्ष की शुरुआत में ही दिए थे। अब तक संरचनात्मक जांच की गई 555 इमारतों में से 540 इमारतों की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, अति-खतरनाक इमारतों की तत्काल मरम्मत व पुनर्विकास करने से इमारत गिरने की घटनाएं कम होकर जन-धन की हानि रोकी जा सकती है।
म्हाडा द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार, सोसायटियों को इन नियमों के तहत पुनर्विकास कर सकते हैं, जैसे भूमि मालिकों को 6 महीनों के भीतर 51% किराएदारों / निवासियों की अपरिवर्तनीय सहमति लेकर पुनर्विकास प्रस्ताव बोर्ड को प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया है।
यदि मालिक ने प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया, तो किराएदारों/निवासियों की प्रस्तावित सहकारी हाउसिंग सोसायटी को 6 महीनों के भीतर 51% किराएदारों/निवासियों की अपरिवर्तनीय सहमति के साथ परियोजना प्रस्ताव बोर्ड को प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया है।
फिर भी यदि प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं हुआ, तो म्हाडा मुंबई भवन मरम्मत एवं पुनर्निर्माण बोर्ड स्वयं संबंधित इमारत एवं उसके अंतर्गत भूखंड का अधिग्रहण कर पुनर्विकास की प्रक्रिया चला सकता है।
इस दृष्टि से मुंबई की पुरानी सेसप्राप्त इमारतों के मालिक, सहकारी संस्थाएं, किराएदार/निवासी आगे आकर विकास नियंत्रण विनियम 33(7), 33(9) के अंतर्गत मिलनेवाले प्रोत्साहन का लाभ लें, ऐसा आह्वान भी इस पत्र द्वारा किया जा रहा है।

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