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धारावी की राह पर वसई-विरार … आरक्षित जमीन पर बना डाले अवैध औद्योगिक गाले! …मनपा की चुप्पी से जनता नाराज

प्रेम यादव / वसई-विरार
वसई-विरार शहर में अवैध निर्माण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। विशेष रूप से वालीव प्रभाग के सातीवली क्षेत्र में गार्डन और गुरुचरण के लिए आरक्षित जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध औद्योगिक गालों का निर्माण हुआ है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में अब तक लगभग ६० से ७० औद्योगिक गाले अवैध रूप से बना दिए गए हैं। ऐसे में वसई-विरार में आरक्षित भूखंड पर हुए अनेकों अवैध निर्माणों पर मनपा की चुप्पी से स्थानीय जनता में भारी नाराजगी व्याप्त है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने बार-बार इस अवैध निर्माण की जानकारी मनपा प्रशासन को दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उक्त जमीन राजस्व विभाग की सीमा में आती है। परंतु यही मनपा प्रशासन पिछले दो वर्षों में इसी स्थान पर पांच बार तोड़क कार्रवाई कर चुका है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र पहले से मनपा की सीमा में था।

उच्च स्तरीय जांच करवाएं
महापालिका प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस विषय पर चुप्पी साध लेना इस बात का प्रमाण है कि कहीं न कहीं पूरी व्यवस्था ही इस अवैध गतिविधि में शामिल है। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में कनिष्ठ अधिकारी खुलेआम निर्माणकर्ताओं को छूट दे रहे हैं। ऐसे में जनता की मांग है कि मनपा आयुक्त इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यदि प्रशासन ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया तो यह प्रकरण आने वाले समय में शहर के अन्य हिस्सों के लिए भी गलत उदाहरण बन जाएगा, जिससे वसई-विरार जैसे बड़े शहर का नियोजन और पर्यावरणीय संतुलन खतरे में पड़ सकता है।

अधिकारियों की मिलीभगत
अब जनता यह सवाल उठा रही है कि जब पहले यह जमीन मनपा के अंतर्गत थी, तो अचानक यह वैâसे राजस्व विभाग के हवाले हो गई या फिर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। यह बदलाव वैâसे हुआ और किसके आदेश से हुआ, यह सवाल अब जनमानस को परेशान कर रहा है। ऐसे में यह शक गहराता जा रहा है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह अवैध निर्माण इतने बड़े स्तर पर हो सका है।

प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल
सातीवली की जिस साई रेसिडेंसी और हुंडई शोरूम के पास ये अवैध निर्माण हुए हैं, वह जमीन गार्डन और गुरुचरण जैसी सार्वजनिक उपयोग की भूमि के रूप में आरक्षित थी। ऐसे में इस प्रकार का निर्माण केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों पर खुला हमला है। शहर में पहले से ही मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। जल आपूर्ति, सड़क, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर प्रशासन की कार्यशैली पर पहले से सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में आरक्षित जमीन पर निजी लाभ के लिए अवैध निर्माण का होना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है।

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