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बिहार विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बना रही एनडीए

अनिल मिश्र / पटना

आसन्न बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
सीट बंटवारे से लेकर जीतने तक के लिए हर सीट की रणनीति बना रही है। इसके साथ ही एनडीए और विपक्षी गठबंधन के संभावित बागियों की भी पहचान की जा रही है। वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर भी एनडीए का आकलन है कि जितना विपक्ष इसे मुद्दा बनाएगा उतना विपक्ष को नुकसान और एनडीए को सहानुभूति मिलेगी। बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसा पहली बार नहीं है, जब सीटों के बंटवारे को लेकर हाई लेवल का मंथन चल रहा हो। लगभग हर चुनाव में ऐसा ही होता आ रहा है। भाजपा और जदयू इससे पहले भी मिलकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। साल 2010 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो उस समय जदयू ने 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं 2015 के चुनाव से पहले नीतीश ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। उस समय राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ गया था। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड ने बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा । 2020 के चुनाव से पहले एक बार फिर नीतीश ने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाया था, उस समय जनता दल यूनाइटेड ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पिछले चुनावों को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार भी जदयू ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बिहार प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा चल रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के फार्मूले के अनुसार ही बिहार में एनडीए का टिकट बंटवारा होगा। इसको लेकर बिहार की राजधानी पटना से लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान से दिल्ली तक बातचीत शुरू हो चुकी है। गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 17, जदयू ने 16, लोजपा ने 5 और हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था। वहीं इस बार नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को भी चुनावी रणनीति में ध्यान में रखा जा रहा है, जबकि लोक सभा चुनाव में भाजपा ने जदयू से एक सीट ज्यादा पर चुनाव लड़ा था, लेकिन विधानसभा में जेडीयू बीजेपी से एक-दो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा क्षेत्र में से 102-103 एवं भाजपा 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। वहीं इसके अलावा बाकी बचीं करीब चालीस सीटें लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी जाएगी। इसमें बड़ा हिस्सा लोजपा का होगा, क्योंकि राज्य में उसके पांच सांसद हैं। इस लिहाज से उसे करीब 25-28 सीटें मिल सकती हैं, जबकि हम को 6-7 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें दी जा सकती है। इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी बात है कि बिहार में सीटों के बंटवारे में पेंच न फंसे इसलिए सीटों का बंटवारा एकदम आखिर में किया जाएगा। इसके साथ ही लगातार दो बार से हारी जाने वाली सीटों की अदला-बदली भी की जाएगी। यानी कि अगर किसी सीट पर भाजपा पिछले दो चुनावों से लगातार हार रही है तो उस सीट को दूसरे सहयोगी पार्टी को दिया जा सकता है। ताकि वहां जीत की संभावना हो सके। अब आने वाले समय ही बताएगा कि सीट बंटवारे को लेकर भारतीय जनता पार्टी सहित सहयोगी दलों में कोई पेंच फंसता है अथवा निर्विघ्न प्रत्याशियों का चयन कर विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बिहार में काबिज होने में कामयाब होगी।

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