झूठी मुस्कान

मिटाने को दूजे की हस्ती,
हर साजिश में लगा है जमाना,
हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे,
छुपा कोई गहरा अफसाना है।
हर कोई बुनता सीढ़ी स्वार्थ की,
औरों को गिरा खुद चढ़ता है,
अपने फायदे की रोशनी में,
किसी और का अंधेरा बनता है।
जो भी आता है करीब यहां,
खुदगर्जी की खातिर ही,
दिल में चुभो चुप की टीसें,
हंसी में छिपा के बहल जाता है।
गहरी जो चोट दे मन को,
वो झूठ ही होता है अक्सर,
जो दिल से छलका दे आंसू,
और रिश्तों को करे बेअसर।
राहें जिंदगी की हों चाहे कठिन,
विश्वास का दीप जले मन में,
जो गिरकर फिर उठ जाए,
कहलाए वहीं इंसान जीवन में।
-मुनीष भाटिया
मोहाली

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