मुख्यपृष्ठनए समाचारघाती-दादा गुट में भयंकर कलह!..एकला चलो की राह पर महायुति

घाती-दादा गुट में भयंकर कलह!..एकला चलो की राह पर महायुति

-समृद्धि महामार्ग का उद्घाटन कर मुख्यमंत्री ने मारा मास्टर स्ट्रोक!

सामना संवाददाता / मुंबई

भाजपा जिस तरह महाविकास आघाड़ी में शामिल दलों में तोड़-फोड़ करके अपनी सरकार बनाई थी, ठीक उसी फॉर्मूले पर निकाय चुनाव में भी काम कर रही है, लेकिन इस बार अंतर केवल इतना है कि भाजपा के निशाने पर महायुति में शामिल गुट ही है। महायुति में दादा और घाती गुट में जमकर कलह और मतभेद चल रहा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि महायुति के घटक दल इस बार ‘एकला चलो’ की राह पर जा रहे हैं। हालांकि, दो दिन पहले सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समृद्धि महामार्ग के उद्घाटन के समय स्टीयरिंग ‘मास्टर स्ट्रोक’ मारते हुए सभी को एक ही झटके में शांत कर दिया।
उल्लेखनीय है कि भले ही भाजपा महायुति में सबसे बड़ी पार्टी है और बड़े भाई की भूमिका में है, लेकिन घाती और दादा गुट भी अपने-अपने विस्तार की रणनीति में लगे हुए हैं। विधानसभा में महायुति ने सफलता हासिल की है, पर स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में भाजपा, दादा और घाती गुट अपने-अपने बलबूते चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, महायुति सरकार में आंतरिक कलह का संकट लगातार मंडरा रहा है। भाजपा, घाती गुट और अजीत पवार गुट को एक साथ एक समान रखना फडणवीस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। पहले ही मंत्री पद, विभागों का बंटवारा और पालकमंत्री पद को लेकर नाराजगी सामने आ चुकी है। रायगड और नासिक जिलों के पालकमंत्री की नियुक्ति का मुद्दा बार-बार उठता रहा है, लेकिन अब फंड वितरण में पक्षपात का मुद्दा भी घाती गुट के मंत्रियों ने उप मुख्यमंत्री शिंदे के समक्ष खुलकर उठाया है।
दादा से नाराज है घाती गुट
महायुति में अजीत पवार नहीं चाहिए। इस तरह का रुख घाती गुट के नेता कई बार सार्वजनिक रूप से जाहिर कर चुके हैं, लेकिन अब यह नाराजगी रायगड तक पहुंच गई है। सुनील तटकरे का जबरदस्त विरोध दरअसल अजीत पवार तक जा पहुंचा है, इससे महायुति में एक बार फिर तनाव गहराने लगा है।
तीनों प्रमुख नेताओं की एकजुटता का संदेश
हाल ही में समृद्धि महामार्ग के उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने एक ही गाड़ी में यात्रा की। शुरू में शिंदे ने गाड़ी चलाई, उनके बगल में फडणवीस बैठे थे और पीछे की सीट पर अजीत पवार थे। कुछ देर बाद फडणवीस ने स्टेयरिंग को संभाला। इस यात्रा के माध्यम से फडणवीस ने सभी नाराज नेताओं को यह संदेश दिया कि हम तीनों मिलकर ही सरकार चला रहे हैं, चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तीन शिफ्ट के ड्राइवर हैं। हमें एक-दूसरे की गाड़ी में बैठने की आदत है। ड्राइविंग का अनुभव है और हमारी गाड़ी अच्छी चल रही है।
स्थानीय नेताओं की चुनौती
फडणवीस विवाद सुलझाने में माहिर हैं और उन्होंने शिंदे और अजीत पवार दोनों के साथ लंबा अनुभव साझा किया है। लेकिन असली चुनौती स्थानीय स्तर के नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के ‘ईगो’ और मानसिकता से है। इन नेताओं के विवादास्पद बयानों से भले ही महायुति न टूटे, लेकिन एकता को खतरा जरूर हो सकता है। इसका बड़ा नुकसान महायुति को स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

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