मुख्यपृष्ठनए समाचारशिक्षा व्यवस्था हो गई `विकलांग' व `बीमार'!

शिक्षा व्यवस्था हो गई `विकलांग’ व `बीमार’!

– तबादले के डर से ४३ हजार शिक्षकों ने पोर्टल पर अपलोड किया प्रोफाइल

– शिक्षण-अध्ययन प्रक्रिया प्रभावित होने का डर

सुनील ओसवाल / मुंबई

जिला परिषद शिक्षकों के तबादले की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया अब गति पकड़ रही है। राज्य में ४३,५६६ शिक्षकों ने उपयुक्त स्कूल पाने या मौजूदा स्कूल को बनाए रखने के लिए खुद को विकलांग या बीमार बताया है। तबादला पोर्टल पर इस डेटा ने राज्य के स्कूलों के `स्वास्थ्य’ को चर्चा में ला दिया है।
ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जिला परिषद शिक्षकों की ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया शुरू की गई है। सरकारी निर्णय के अनुसार, यह प्रक्रिया ३१ मई को पूरी होनी थी। हालांकि इस साल यह प्रक्रिया विलंबित हो गई। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्कूलों का नया सत्र १६ जून से शुरू हो रहा है। सत्र शुरू होने से पहले इस तबादला प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। पिछले महीने राज्य में १,८३,९९६ जिला परिषद शिक्षकों ने तबादला पोर्टल पर अपना `प्रोफाइल’ अपडेट किया था।
अब कैडर एक और कैडर दो के शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा है। इसके अनुसार, यह बताया गया है कि ४३,००० से अधिक शिक्षकों ने श्रेणी एक से स्थानांतरण या स्थानांतरण से छूट के लिए आवेदन किया है। श्रेणी एक में मुख्य रूप से विकलांग शिक्षक, गंभीर बीमारियों से पीड़ित शिक्षक और ५३ वर्ष की आयु पार कर चुके शिक्षक शामिल हैं। ये शिक्षक श्रेणी एक में आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में कुल २ लाख २८ हजार ४९१ शिक्षक हैं। इनमें से ९३,३३९ प्राथमिक और १,१२,६७० उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षक हैं। इन दो लाख शिक्षकों में से ४३,००० शिक्षक अब तबादले की प्रक्रिया में आगे आए हैं, क्योंकि वे विकलांगता या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। अगर इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार हैं तो क्या इससे शिक्षण प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी? आम आदमी के मन में यह सवाल उठ रहा है।

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