हिमांशु राज
भीम आर्मी प्रमुख और नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ इंदौर की युवती रोहिणी घावरी द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों ने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। स्विट्जरलैंड में पढ़ाई कर रही रोहिणी ने आजाद पर झूठे वादे करके अवैध संबंध बनाने के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी बहस छिड़ गई है। यह मामला तब और गंभीर हो गया, जब पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने चंद्रशेखर आजाद को निशाने पर लेते हुए उनकी पुरानी धमकियों को याद दिलाया। बृजभूषण ने कहा, `जब मेरे ऊपर (महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के) आरोप लगे थे, तो चंद्रशेखर आजाद ने कहा था कि अगर समाज इजाजत दे, तो वह मुझे घसीटकर ले जाएंगे। आज मैं उनसे पूछना चाहता हूं, `मेरे खिलाफ केस दर्ज हो चुका है, मैं कोर्ट का सामना कर रहा हूं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन आज तुम्हारा बल कहां गया?’ इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है, क्योंकि यह मामला अब महज एक व्यक्तिगत विवाद नहीं रह गया है। चंद्रशेखर आजाद की राजनीतिक पहचान एक दलित नेता के रूप में है, जो लंबे समय से सामाजिक न्याय और महिला अधिकारों की बात करते रहे हैं। ऐसे में उन पर लगे ये आरोप न केवल उनकी व्यक्तिगत विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करते हैं, बल्कि उस पूरे राजनीतिक आंदोलन को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं दूसरी ओर, बृजभूषण शरण सिंह का यह हस्तक्षेप स्पष्ट रूप से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इस मामले का सामाजिक प्रभाव भी काफी गहरा हो सकता है, क्योंकि यह घटना उत्तर प्रदेश की जटिल जातिगत राजनीति के संदर्भ में सामने आई है। आजाद के समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है, खासकर तब जब यह मामला अदालत तक पहुंचे। फिलहाल सभी की निगाहें चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं, जो इस पूरे विवाद के भविष्य की दिशा तय करेगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में और विकसित होगा और उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। इस बीच, महिला संगठनों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित जांच की मांग की है।