सामना संवाददाता / मुंबई
लंबे समय से अधर में लटकी ठाणे सर्कुलर मेट्रो परियोजना के पहले चरण के लिए १,४०० करोड़ रुपए की मंजूरी मिल गई है। यह परियोजना सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा प्रस्तावित की गई थी, लेकिन वर्षों तक अधर में लटकी रही। शिंदे के कार्यकाल में इस परियोजना पर रत्ती भर काम नहीं हुआ। वहीं अब इसकी डेडलाइन २०२९ बताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही प्रारंभिक कार्य शुरू किया जाएगा और एक औपचारिक भूमिपूजन समारोह आयोजित किया जाएगा।
२९ किलोमीटर लंबा यह मेट्रो कॉरिडोर जिसे ‘ठाणे इंटरनल रिंग रेलवे मेट्रो’ का नाम दिया गया है, इस प्रोजेक्ट को केंद्र और राज्य सरकार से मंजूरी मिल चुकी है और इसकी कुल परियोजना लागत १,४०० करोड़ रुपए है। इस मार्ग में से २६ किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा और ३ किलोमीटर भूमिगत रहेगा। यह मेट्रो ठाणे शहर के प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ेगी, जिनमें लोकमान्य नगर, पोखरण रोड्स १ और २, हीरानंदानी मीडोज, वागले इस्टेट, राबोड़ी और ठाणे स्टेशन शामिल हैं। इसमें सभी रूट अलाइनमेंट को अंतिम रूप दे दिया गया है, जिसमें २२ एलिवेटेड (उच्च स्तरीय) और २ भूमिगत स्टेशन शामिल हैं। भूमिगत खंड विशेष रूप से पुराने और नए ठाणे रेलवे स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा।
वडवली और कावेसर में डिपो स्थानों के लिए सर्वेक्षण जारी हैं और डिपो निर्माण के लिए निविदाएं भी अंतिम चरण में हैं। बालकुम से रैलादेवी खंड के लिए एक अलग निविदा, जो सीआरजेड (तटीय विनियमन क्षेत्र) संबंधी चिंताओं के कारण विलंबित थी, उसे आगामी तीन महीनों में जारी किए जाने की उम्मीद है।
पूरी परियोजना को दिसंबर २०२९ तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए ठाणे महानगरपालिका, एमएसईडीसीएल, एमएमआरडीए, जलापूर्ति और ड्रेनेज विभाग सहित विभिन्न नगर निकायों के साथ समन्वय के लिए विस्तृत योजना तैयार की जा रही है। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है। उन्होंने बताया कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी हो जाती है तो ठाणे रिंग मेट्रो से ट्रैफिक जाम में भारी कमी आने, यात्रा समय घटने और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।