मुख्यपृष्ठसंपादकीयसंपादकीय : विश्व युद्ध की ओर विश्व... ईरान सरेंडर नहीं कर रहा

संपादकीय : विश्व युद्ध की ओर विश्व… ईरान सरेंडर नहीं कर रहा

तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है और यह साफ है कि दुनिया को विनाश की खाई में धकेला जा रहा है। रशिया और यूक्रेन के बीच चार साल से युद्ध चल रहा है। इजरायल-फिलिस्तीन में युद्ध जारी है। भारत-पाकिस्तान संघर्ष जारी है। चीन, तुर्की और अजरबैजान पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हैं। अब इजरायल और ईरान के बीच युद्ध छिड़ गया है। मध्य-पूर्व में जंग के हालात भयावह हो गए हैं। ईरान ने खुलेआम धमकी दी है कि अगर अमेरिका, ब्रिटेन या प्रâांस इजरायल की मदद करने की कोशिश करते हैं तो वह इन देशों के सैन्य ठिकानों पर हमला करेगा। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि इजरायल पर हमले बंद करो वरना तेहरान में आग लगा देंगे। उसी रात ईरान ने राजधानी तेल अवीव पर मिसाइल दागकर इजरायल को भारी नुकसान पहुंचाया। तेल के कुओं पर बमबारी की गई है। सैकड़ों लोग मारे गए हैं। यह तस्वीर अच्छी नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने युद्धविराम को मंजूरी दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर भी यही धमकी का प्रयोग किया। ट्रंप को लगा कि ईरान ‘सरेंडर ‘ कर देगा, लेकिन ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप को धमकी दे दी। ईरान के सर्वेसर्वा खोमैनी ने चेतावनी दी, ‘हमारे मामलों में मत उलझो, व्यर्थ में अपनी नाक मत घुसाओ, तुम्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।’ नतीजतन, ट्रंप की मुफ्त फौजदारी बर्बाद हो गई। नेतन्याहू ने ईरान पर हमला करके गलती की। उन्होंने ईरान को कमजोर समझकर गलती की। इजरायल ईरानी सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या करके जीत का जश्न मना रहा है, लेकिन ईरान इस हालात में भी लड़ रहा है।
नेतन्याहू की भागमभाग
जारी है। नेतन्याहू चाहते हैं कि अमेरिका इजरायल की तरफ से युद्ध करे, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप में इसकी हिम्मत नहीं दिखती। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से तत्काल युद्ध रोकने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र को लगता है कि अगर यह युद्ध जारी रहा तो इसका दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा, लेकिन उनकी सुनता कौन है? ‘यूएनओ’ दुनिया में अब तक किसी भी संघर्ष को रोक नहीं सका है। ‘यूएनओ’ का मतलब है अमेरिकी धरती पर अमेरिकी पैसे से पलने वाला बिल्ला है। जब अमेरिका ने इराक के सद्दाम और लीबिया के गद्दाफी को मारा तो यह बिल्ला ‘म्याऊं’ करने को भी तैयार नहीं था। अब जब इसके पालनहार की प्रतिष्ठा दांव पर है तो यह शांति की अपील कर रहा है। इतिहास दर्ज करेगा कि ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायल की धमकियों के आगे ‘सरेंडर’ नहीं किया। वरना दुनिया में ऐसे कई नेता हैं, जो अमेरिका के एक फोन कॉल पर ‘सरेंडर’ कर देते हैं। ‘गाजा’ पट्टी में इजरायल द्वारा अमानवीय हमले किए गए। जब सैकड़ों बच्चों, खाने की लाइन में लगी महिलाओं और बुजुर्गों पर बमबारी की गई, अस्पतालों को जलाकर मानवता को शर्मसार किया गया, तब भी किसी ने संयुक्त राष्ट्र की बात नहीं सुनी। गाजा में मासूम शिशुओं को बचाने के लिए किसी ने पहल नहीं की। नेतन्याहू ने बच्चों को बेरहमी से मार डाला। अब वे छाती पीट रहे हैं कि ईरान हमारी मानव बस्तियों पर हमला कर रहा है। दुनिया इजरायल पर हुए भयानक हमले को देख रही है। इजरायल के
सभी सुरक्षा कवचों को भेदते हुए
हमले जारी हैं। इमारत की छतों पर आयरन डोम बैटरियां रखी गई थीं। इस पर सबसे ज्यादा और सबसे अचूक हमले किए गए। इजरायल और उसके समर्थकों को इसकी उम्मीद शायद नहीं थी। गाजा पट्टी में किए नरसंहार जैसा ही ‘पैटर्न’ ईरान पर इस्तेमाल करके ईरान के तेल कुओं पर कब्जा करने की अमेरिका और इजरायल की संयुक्त योजना रही होगी। ईरान ने सब कुछ उल्टा-पुल्टा कर दिया। भारत ने अमेरिका की फौजदारी और दादागीरी को स्वीकार किया, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि ईरान ने राष्ट्रपति ट्रंप को फटकार दिया। पूर्व अमेरिकी सेना प्रमुख और नाटो कमांडर वेस्ली क्लार्क ने एक खुलासा कर अमेरिका का चेहरा बेनकाब किया है। क्लार्क का कहना है कि पिछले पांच सालों में अमेरिका ने सात देशों में तख्तापलट की योजना बनाई थी। ये देश हैं इराक, सीरिया, सूडान, लेबनान, लीबिया, सोमालिया और ईरान, लेकिन जब ईरान के खुमैनी सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं हुए तो इजरायल ने युद्ध शुरू कर दिया। इससे पहले पुतिन कह चुके हैं कि अमेरिका पूरी दुनिया में युद्ध चाहता है। इसके चलते कई देशों में चिंगारियां उड़ रही हैं। भारत जैसे देश ने अमेरिका के सामने ‘सरेंडर’ कर दिया है। अमेरिका युद्ध की स्थिति पैदा करता है, नहीं तो वह ऐसी सरकारें और प्रधानमंत्री बनाता है जो ‘सरेंडर’ करते हैं। दुनिया की यह तस्वीर असंतुलन पैदा करनेवाली है। यह देखना बाकी है कि ईरान-इजरायल युद्ध का अंतिम परिणाम क्या होगा, लेकिन दोनों तरफ इंसानों की नाहक जान जा रही है। नेतन्याहू के जान बचाने के लिए दूसरे देश भाग जाने की खबर भी चिंताजनक है। लोग मरते हैं और नेता युद्धभूमि से भाग जाते हैं।

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