महाराष्ट्र पुलिस की अधिकारी रेशमा कुटे ने संघर्ष, संकल्प और आत्मविश्वास की ऐसी कहानी लिखी है, जो हर व्यक्ति को प्रेरणा दे सकती है। उन्होंने ८ जून, २०२५ को विश्व प्रसिद्ध कॉमरेड्स मैराथन (९० किलोमीटर) को १० घंटे १६ मिनट २० सेकंड में पूरा किया और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया।
रेशमा महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग में कार्यरत हैं और उनकी ड्यूटी २४²७ चलती है। इसके बावजूद, उन्होंने पिछले दो वर्षों में ६५ से ज्यादा रेस पूरी की है, जिनमें कई मैराथन, ट्रायथलॉन और अल्ट्रा मैराथन शामिल हैं। रेशमा के अनुसार, ‘स्पोर्ट्स और रनिंग मेरी जिंदगी को बैलेंस करती है और स्ट्रेस से बाहर लाती है।’
दर्द से दौड़ तक का सफर
२०१२ में पीएसआई की तैयारी के दौरान रेशमा को एक एसीएल ग्रेड ३ की घुटने की चोट लगी, जिससे उन्हें खेल से ७ साल का ब्रेक लेना पड़ा। अक्टूबर २०१९ में सर्जरी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे वापसी शुरू की एक १० किमी वॉक से। उनकी पहली वॉकिंग इवेंट थी स्केचर्स वॉकेथॉन, जहां उन्हें पहला मेडल मिला। फिर नवंबर २०२२ में उन्होंने नेवी की पहली आधिकारिक दौड़ में भाग लिया। रेशमा ने अब तक कई डिस्टेंस में दौड़ पूरी की है। १० किमी से लेकर १०० किमी तक २१, ३०, ४२, ५०, ८६ किमी, १५ दिसंबर, २०२४ को उन्होंने अपना पहला १०० किलोमीटर अल्ट्रा मैराथन पूरा किया, जिसे वो अपनी मेहनत, दर्द और हौसले की असली कहानी मानती हैं।
ट्रायथलॉन में भी कमाल
रेशमा ने दो ट्रायथलॉन भी पूरी की हैं: ओलिंपिक डिस्टेंस ट्रायथलॉन, मंगलौर- २०२४, बर्गमैन कोल्हापुर ११३ ट्रायथलॉन- २०२४
१२ प्लस मैराथन में पोडियम फिनिश
पिछले दो सालों में उन्होंने १२ से अधिक मैराथन में पोडियम फिनिश किया, यानी हर बार वो शीर्ष प्रदर्शन करनेवालों में रहीं। रेशमा बताती हैं ९० किमी की कॉमरेड्स मैराथन उनके लिए केवल एक दौड़ नहीं थी, बल्कि उनके जीवन का इम्तिहान था। ८६ किलोमीटर तक सब ठीक रहा, लेकिन अंतिम ४-५ किलोमीटर में ब्लिस्टर, पसीना और दर्द के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। रेशमा ने अपनी इस सफलता को अपने कोच गिरीश बिंद्रा और अमित कुमार को समर्पित किया। साथ ही उन्होंने अपनी टीमों एसडब्ल्यूजीबी, एचएफसी और एमबीआरआर परिवार का भी आभार जताया।