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पेड़ों की कातिल सरकार के खिलाफ जनता का यलगार!..मेट्रो के नाम पर आरे के बाद उत्तन में १२,४०० पेड़ों के कत्ल का प्लान

-मीरा-भाईंदर के २१ हजार लोगों ने किया सरकारी निर्णय का विरोध

-शहीद मेजर कौस्तुभ राणे की मां ने भी दिया व्यक्तिगत निवेदन

सुरेश गोलानी / मुंबई

राज्य की ‘ईडी’ २.० सरकार को पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य की बिल्कुल भी चिंता नहीं है। यही वजह है कि विकास का बहाना बनाकर पेड़ों का कत्ल किया जा रहा है। आरे में कारशेड के नाम पर भाजपा सरकार ने यही काम किया था। अब मीरा-भार्इंदर में भी ऐसा ही किया जा रहा है, जिससे यहां के स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। इस सरकार ने मेट्रो के नाम पर उत्तन में १२,४०० पेड़ों के कत्ल का प्लान बनाया है। पेड़ों की इस कातिल सरकार के खिलाफ अब यहां की जनता ने यलगार कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, मीरा-भाईंदर के २१ हजार लोगों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए एक निवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं। उत्तन के डोंगरी इलाके में मेट्रो-९ रेल कॉरिडोर के लिए कारशेड के निर्माण हेतु १२,४०० पेड़ों को काटने के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए शहर के पर्यावरण प्रेमियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा पिछले महीने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया था।

शहर में बनाए गए थे बूथ
शहर के अनेक स्थानों पर बूथ भी स्थापित किए गए थे, जहां नागरिक स्वेच्छा से निवेदन पर हस्ताक्षर करने के लिए आ रहे थे। यह निवेदन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों डिप्टी सीएम के अलावा वन मंत्री, पर्यावण मंत्री, मुख्य सचिव, स्थानीय विधायक और अन्य सरकारी विभागों के आला अफसरों के नाम संबोधित है।
मनपा आयुक्त को सौंपा निवेदन
कल सोमवार को २१ हजार से ज्यादा हस्ताक्षर युक्त निवेदन मीरा-भाईंदर महानगरपालिका आयुक्त राधा बिनोद शर्मा को सौंप दिया गया। इस अवसर पर शहीद मेजर कौस्तुभ राणे की मां ज्योति राणे ने भी निर्धार प्रतिष्ठान के माध्यम से इन पेड़ों की कटाई प्रस्ताव के खिलाफ अपना व्यक्तिगत निवेदन आयुक्त को अपने हाथों से सौंपा। इस अभियान में स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर लोगों को जागृत किया।
‘ईडी’ सरकार का लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़!
मेट्रो कारशेड के नाम पर उत्तन में हरे पेड़ों को काटने की साजिश रची जा रही है। ईडी सरकार की यह साजिश बताती है कि उसे न तो लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है और न ही वह पर्यावरण और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी समस्याओं के प्रति थोड़ी भी गंभीर नहीं है। अब शहर के नागरिकों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ २१ हजार हस्ताक्षर जुटाकर उसे मनपा आयुक्त को सौंपा है। आयुक्त को सौंपे गए इस निवेदन में प्रमुखता से पेड़ों को न काटे जाने और पहाड़ों को सुरक्षित रखे जाने की मांग की गई है। इसके साथ ही बताया गया है कि शहर में कई अन्य वैकल्पिक खुले स्थान हैं, जहां मेट्रो कारशेड का निर्माण किया जा सकता है।

पेड़ों का संरक्षण सरकार का दायित्व
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि नागरिकों के लिए ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत बरकरार रखने के अलावा पक्षियों और जानवरों की रक्षा की जानी भी जरूरी है। ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरे को देखते हुए तापमान को संतुलित रखने में मदद करने वाले पेड़ों और पहाड़ों का संरक्षण करना हर सरकार का कर्तव्य और दायित्व होता है, जिसको निभाना अति आवश्यक है।

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