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शिवाजी नगर सड़क दुर्घटना के बाद जनता के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने किया पूर्व नगरसेविका समेत 8 पर मामला दर्ज

सगीर अंसारी
मुंबई: मुंबई के मानखुर्द इलाके में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद स्थानीय जनता का गुस्सा फूट पड़ा। गोवंडी के लोटस जंक्शन पर डंपर और दोपहिया वाहन की टक्कर में 3 बच्चाें समेत 4 कि मौत होने के बाद भीड़ ने सड़क पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर मानखुर्द यातायात पुलिस की नाकामी और जीएम लिंक रोड पर बने 500 करोड़ की लागत वाले पुल की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बड़े वाहन पुल के नीचे क्यों? नियम के बावजूद तोड़ रहे हैं आदेश
स्थानीय लोगों का कहना है कि जीएम लिंक रोड पर जो उन्नत पुल बनाया गया है, वह भारी वाहनों के लिए प्रतिबंधित है, फिर भी दिन-रात भारी डंपर, ट्रक और कंटेनर पुल के नीचे की सड़क से बेरोकटोक गुजरते हैं। इस रास्ते पर बार-बार जानलेवा हादसे हो चुके हैं और कई निर्दोष नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं।

ट्रैफिक पुलिस की ढिलाई बनी मौत का कारण
लोगों का आरोप है कि मानखुर्द यातायात पुलिस यदि अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभाए, तो इन हादसों पर काबू पाया जा सकता है। भारी वाहनों के लिए कोई प्रभावी निगरानी नहीं की जा रही है। न तो चेकिंग होती है, न ही कोई सक्रिय पेट्रोलिंग। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस की उदासीनता और मिलीभगत के कारण ही ये वाहन मनमाने ढंग से नो-एंट्री ज़ोन में घुसते हैं।

स्थानीयों का फूटा गुस्सा, रुक्साना सिद्दीकी समेत 8 पर केस दर्ज
हादसे के बाद लोगों ने मानखुर्द-घाटकोपर लिंक रोड को घंटों तक जाम कर दिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई पुलिस थानों की टीमें और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। भीड़ की अगुवाई कर रहे पूर्व नगरसेविका रुक्साना सिद्दीकी समेत आठ लोगों पर पुलिस ने धारा 37(3), 135, 126(2), 189(2), 190, 223 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

जनता ने मांग कि है पुल के नीचे भारी वाहनों की आवाजाही पर लगे स्थायी प्रतिबंध
घटना के बाद स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि पुल के नीचे से भारी वाहनों की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध लगे और यातायात पुलिस की जवाबदेही तय की जाए। लोगों का कहना है कि जब करोड़ों की लागत से पुल बनाया गया है, तो फिर भारी गाड़ियों को सड़क पर क्यों उतारा जा रहा है? यह प्रशासन की नाकामी नहीं तो और क्या है?

जनता के अब तक के बड़े सवाल 500 करोड़ की लागत से बना पुल क्या सिर्फ दिखावा है? यातायात पुलिस की निष्क्रियता पर कार्रवाई कब? पुल के नीचे दुर्घटनाओं का अंत कब होगा? यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का आईना है।

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