मुख्यपृष्ठनए समाचार१३ साल बाद भी नहीं हुई दोषियों पर कार्रवाई!

१३ साल बाद भी नहीं हुई दोषियों पर कार्रवाई!

– हाई कोर्ट ने सरकार की उदासीनता पर लगाई फटकार

– बाल गृह में दिव्यांगों के शराब पार्टी में शामिल होने का मामला

सामना संवाददाता / मुंबई

तेरह साल पहले (३१ दिसंबर, २०१२) मानखुर्द स्थित बाल गृह के कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है, जिन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर शराब पार्टी का आयोजन किया था और इस पार्टी में दिव्यांग बच्चों के साथ भाग लिया था। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यह शर्म की बात है कि १३ साल बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। साथ ही कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार संरक्षण आयुक्त को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया।
जब घटना ताजा थी, तब मामले की जांच की गई थी। हालांकि, यह आश्चर्यजनक है कि बाल गृह के अधिकारियों या अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसको लेकर मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ ने भी आलोचना की। ऐसे संवेदनशील मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सरकार की उदासीनता की आलोचना करते हुए अदालत ने कहा कि यह समाज के लिए शर्म और खतरे की बात है। साथ ही दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार संरक्षण आयुक्त को छह सप्ताह के भीतर जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई और सजा पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने का आदेश दिया।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश की कार्यान्वयन रिपोर्ट तीन महीने के भीतर प्रस्तुत की जाएगी। उपरोक्त आदेश मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने २०१४ में सामाजिक कार्यकर्ता संगीता पुणेकर द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया था। पुणेकर ने एक याचिका के माध्यम से मानखुर्द में एक सरकारी सहायता प्राप्त बाल गृह की दुर्दशा का मुद्दा अदालत के ध्यान में लाया था। साथ ही याचिका में आरोप लगाया गया था कि बाल गृह के दो कर्मचारियों ने वहां दो मानसिक रूप से दिव्यांग लड़कियों का यौन शोषण किया था। वहीं बाल गृह में एक नए साल की पार्टी का आयोजन किया गया था। हालांकि, इस पार्टी में शराब बांटी गई थी। साथ ही अश्लील नृत्य भी किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में बाल गृह के मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को भी शामिल किया गया था। बाद में याचिकाकर्ता ने इस तथ्य को अदालत में लाया तो अदालत ने उसी समय जांच के आदेश दिए थे।

अन्य समाचार