-अमदाबाद ड्रीमलाइनर हादसे में चीनी हैकरों का हाथ होने की प्रबल संभावना
-बोइंग की बर्बदी में छिपी है चीनी सी-९१९ और ९२९ की सफलता
अनिल तिवारी
पिछले एक-डेढ़ दशक से अमेरिकी कमर्शियल जेट निर्माता बोइंग के कई विमानों में गंभीर तकनीकी खराबियां पेश आई हैं, उसके एडवांस सॉफ्टवेयर में काफी मालफंक्शन हुए हैं, नतीजे में कई जेट लाइनर्स क्रैश भी हुए हैं। निश्चित तौर पर कंपनी की इस नाकामी के लिए उसके नीतिगत व टेक्निकल फैसले जिम्मेदार हैं, पर बोइंग की इस बर्बादी में किसी तीसरी षड्यंत्रकारी शक्ति के हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
दुनिया में लाखों हजार करोड़ रुपयों के कमर्शियल जेट लाइनर्स मार्केट में इन दिनों कई कंपनियां एंट्री करने की तलाश में हैं और उनकी यह एंट्री तब आसान बनती है, जब दुनिया की दोनों मेजर कमर्शियल बोइंग और एयरबस में से कोई एक बर्बाद हो, बैंकरप्ट हो या फिर उसकी विश्वसनीयता पर आंच आए। पिछले लंबे अर्से से कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना (कॉमेक) बाजार में जगह बनाने के लिए हाथ-पैर मार रही है। उसने सी-१९१ एयरक्रॉफ्ट के कई प्रदर्शन भी किए हैं। एयरबस और बोइंग के नेरो बॉडी सेंगमेंट को सी-१९१ कड़ी टक्कर भी देता है, पर अमेरिकी और यूरोपियन दबाव में दुनियाभर में चीनी जेटलाइनर्स को ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं। जबकि उसकी प्रोडक्शन लाइन में सी-९०९, सी-९२९, ९३९ और ९४९ जैसे अन्य जेटलाइनर्स भी हैं। चीन की घेरलू कंपनियां चाइना ईस्टर्न, चाइना सदर्न और एयर चाइना सरकारी दबाव में कुल १६ एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल तो कर रही हैं, पर दुनिया के अन्य देशों से उसे खरीदने के ऑर्डर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में बहुत संभव है कि चीनी महत्वाकांक्षा विध्वंस के रास्ते पर चल पड़ी हो। उसके हैकरों ने बदनाम हो रहे बोइंग के ताबूत में आखिरी कील ठोंककर उसे आसानी से शिकार बनाने का रास्ता अख्तियार कर लिया हो। इसकी प्रबल संभावना है, क्योंकि बोइंग के विध्वंस में ही कॉमेक का उदय नजर आ रहा है।
चीन का सी-९२९ है ड्रीमलाइनर का विकल्प!
चीनी हैकर विध्वंसक हैंकिग के लिए दुनियाभर में बदनाम हैं। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को, संस्थानों को या दुश्मन देशों को नुकसान पहुंचाने व उनके महत्वपूर्ण और गोपनीय तकनीकी डेटा को चुराने के लिए शिद्दत से काले कारनामों को अंजाम देते रहते हैं। हालिया बोइंग हादसों में भी इनका हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
आमतौर पर कॉर्पोरेट सेक्टर में प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को हर तरह से नुकसान पहुंचाने का इतिहास पुराना है। मार्केट शेयर पर ज्यादा से ज्यादा कब्जा जमाने और अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों ने भी ऐसे कई कारनामों को अतीत में अंजाम दिया ही है। ये कंपनियां समय-समय पर डिप्लोमेटिक व डेरिवेटिव मार्वेâट में पकड़ बनाने के लिए सरकारी तंत्र तक का इस्तेमाल करती आई हैं। ट्वीन इंजिन नैरो बॉडी जेट एयरलाइनर्स बनानेवाली कंपनी मैकडोनल डगलस को पछाड़ने के लिए कभी उसकी प्रतिद्वंद्वी बोइंग पर भी ऐसे ही आरोप लगे थे। दशकों तक मैकडोनल डगलस और बोइंग ने विमानन उद्योग में प्रतिस्पर्धा की थी। इस प्रतिस्पर्धा में डगलस एयरक्राफ्ट कंपनी और मैकडोनल एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के विलय से बनी मैकडोनल डगलस हार गई और उसने खुद का विलय प्रतिस्पर्धी बोइंग में कर दिया। आज बोइंग को पछाड़कर जेट लाइनर्स के बाजार पर कब्जा करने का काम चीनी कंपनी कर रही हो, इनकार नहीं किया जा सकता। आंकड़ों को देखें तो बोइंग के २६० से ज्यादा एयरक्राफ्ट गंभीर दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं, उसकी तुलना में पिछले २५ वर्षों में एयरबस के ३५ एयरक्राफ्ट ही भीषण हादसों का शिकार हुए हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस वक्त बोइंग के १४ हजार कमर्शियल एयरक्राफ्ट सेवा में हैं तो वहीं एयर बस के भी १२ हजार एयरक्राफ्ट आसमान में उड़ान भर रहे हैं। आंकड़ों में यहां भले ही बोइंग बड़ी कंपनी नजर आती है, पर जब ऑर्डर और डिलिवरी पर नजर डाली जाए तो एयरबस का दबदबा साफ नजर आता है। ऐसे में किसी के लिए भी एयरबस से टक्कर लेने की बजाय आर्थिक संकट झेल रही बोइंग के सेल्स आंकड़ों को प्रभावित करके बाजार में पकड़ बनाना ज्यादा आसान नजर आता है।
जेट लाइनर्स की संपूर्ण सुरक्षा उसके जेट इंजिनों पर निर्भर होती है, इसलिए आज के आधुनिक युग में न केवल जेट लाइनर्स निर्माता कंपनियां, बल्कि एयरक्राफ्ट में लगनेवाले जेट इंजिन बनानेवाली प्रेट एंड व्हिटनी, जीई और राल्स रॉयस जैसी कंपनियां भी हर ऑपरेशनल जेट इंजिन का रियल टाइम डेटा रखती हैं। हवाई जहाज के इंजिन स्टार्ट होने से लेकर एयरक्राफ्ट की संपूर्ण उड़ान के दौरान जेट्स के हर परफोर्मेंस और मालफंक्शन का संपूर्ण डेटा जब जेट इंजिन निर्माता के पास पहुंचता रहता है। जब ये डेटा एयरक्राफ्ट से कंपनी के कंप्यूटरर्स तक सहजता से पहुंचता है, तब उसी रास्ते से हैकर्स के कमांड इंजिन या सॉफ्टवेयर तक क्यों नहीं पहुंच सकते? इनकी शत-प्रतिशत सुरक्षा पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। खासतौर पर तब, जब दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरे से जूझ रही हो। जहां तक चीन की कॉमेक जेट लाइनर्स का सवाल है तो उसके पास इस समय सी९१९ के रूप में नैरो बॉडी जेट लाइनर्स है तो सी९२९ के रूप में वाइड बॉडी जेट लाइनर्स। चीन के यह जेट लाइनर्स एयरबस के ए३२० और बोइंग के ७३७ ड्रीम लाइनर्स का विकल्प देते हैं। सी ९१९ के कुल १६ एयरक्राफ्ट तो चीनी घरेलू उड़ानों में इस्तेमाल हो ही रही है, पर उनके वाइड बॉडी सी९२९ एयरक्रॉफ्ट को अभी अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला है। जो बोइंग के ७८७ ड्रीमलाइनर्स का विकल्प माना जाता है।
कॉमेक के फ्लैगशिप जेट लाइनर्स सी९१९ की अभी मई २०२३ में ही कमर्शियल एंट्री हुई हैं। कंपनी वर्ष २०२५ तक ३० अन्य जेट लाइनर्स की डिलिवरी करना चाहती है और उसने भविष्य की डिमांड और सप्लाई के लिए अपनी प्रोडक्शन वैâपेसिटी को भी मजबूत कर लिया है। हालांकि, उसके लिए उसे बाजार में अपनी विश्वसनीयता साबित करने और विदेशी एविएशन रेग्युलेटर्स जैसे यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी, कैनेडियकन एविएशन रेग्यूलेटर्स, एफएए इंटरनेशनल एविएशन जैसी सिविल एविएशन अथॉरिटिस से मान्यता प्राप्त करना भी जरूरी है। ताकि उसके जेट लाइनर्स पूरी दुनिया में उड़ान भर सकें और चीन को लाखों करोड़ रुपयों का राजस्व दिला सकें। चीन की मौजूदा विनिर्माण क्षमता और सस्ती लागत उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। बशर्ते बोइंग या एयरबस जैसी कंपनियों में से कोई एक अपना बाजार शेयर कम करे, तभी चीन की महत्वाकांक्षा को स्थान मिल सकता है। चीन के घाती इतिहास और महत्वकांक्षा वर्तमान को देखकर ड्रैगन के षड्यंत्र की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
लिहाजा, बहुत संभव है कि बोइंग के हालिया अधिकतर हादसों में किसी तीसरी पार्टी का खूनी हस्तक्षेप भी शामिल हो। यदि ऐसा है तो यह एविएशन मार्केट और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है। जहां तक चीन का सवाल है तो उसने रिवर्स इंजीनियरिंग के बूते बोइंग और एयरबस को टक्कर देने वाला कमर्शियल जेट बना लिया है। बस, अब उसे दरकार है तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह बनाने की। जिसके लिए इन दोनों कंपनियों में से किसी एक की बर्बादी जरूरी है। बोइंग और एयरबस में से कोई एक भी बर्बाद होता है तो चीनी कॉमेक की लॉटरी लगना तय है।