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ऐरोली-कलवा एलिवेटेड कॉरिडोर ९ वर्ष बाद भी अधूरा!.. पुनर्वसन और राजनीतिक गतिरोध के चलते लटका पड़ा है काम

शहर में लोकल ट्रेनों में बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेलवे ने कई ऐसे प्रोजेक्ट की घोषणा की जो केवल कागजों तक सीमित है। चाहे वह डबल डेकर लोकल ट्रेन की घोषणा हो या चर्चगेट-विरार एलिवेटेड कॉरिडोर। इन सब प्रोजेक्ट की फाइलें धूल खा रही हैं। ऐसे ही प्रोजेक्ट में एक प्रोजेक्ट है ऐरोली-कलवा एलिवेटेड कॉरिडोर, जिसकी घोषणा वर्ष २०१४ में हुई थी, लेकिन अब तक इसका कार्य पूरा नहीं किया जा सका है।
पुनर्वसन और राजनीतिक गतिरोध के चलते अब भी इसका काम अटका हुआ है। इस प्रोजेक्ट में मुंबई रेल विकास निगम (एमआरवीसी) और एमएमआरडीए मिलकर काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्रभावित परिवारों के पुनर्वसन का कार्य अधूरा है जो कि एमएमआरडीए की जिम्मेदारी है। पिछले कई वर्षों से पुनर्वसन के मुद्दे पर टालमटोल किया जा रहा है। हालांकि, परियोजना का एक चरण पूरा हो चुका है। यह परियोजना ऐरोली और कलवा के बीच सीधा संपर्क स्थापित करने और ठाणे स्टेशन की भीड़भाड़ को काफी हद तक कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। एमआरवीसी के एक अधिकारी ने बताया कि एमएमआरडीए ने अब तक भोला नगर और शिवाजी नगर के केवल ७८६ परियोजना प्रभावित लोगों को स्थानांतरित नहीं कर सका है, जिसके कारण परियोजना का दूसरा चरण अधर में लटका हुआ है। यह एलिवेटेड कॉरिडोर बदलापुर, कसारा और कल्याण जैसे इलाकों के यात्रियों को सीधे नई मुंबई के आईटी और कॉर्पोरेट हब्स—जैसे महापे, वाशी और पनवेल से जोड़ने की सुविधा देता, जिससे उन्हें पहले से ही अत्यधिक भीड़भाड़ वाले ठाणे स्टेशन से होकर नहीं गुजरना पड़ता, जहां रोजाना एक हजार से अधिक ट्रेनों से करीब ६.५ लाख यात्री यात्रा करते हैं।
भीड़ को देखते हुए कॉरिडोर बेहद जरूरी
अधिकारी ने बताया कि यह कॉरिडोर बेहद जरूरी है। हाल ही में मुंब्रा स्टेशन पर हुई एक दुखद घटना में भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन से गिरकर चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। ऐसी घटनाएं अब चिंताजनक रूप से आम होती जा रही हैं, क्योंकि यात्री मजबूरी में फुटबोर्ड पर खड़े होकर यात्रा करने को विवश हैं। इसका कारण है भीड़भाड़ और अधूरी पड़ी बुनियादी ढांचे की अपग्रेड योजनाएं।

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