-नवनिर्वाचित विधायकों के लिए भी नहीं है विकास फंड
-जिन विभागों ने निधि नहीं की खर्च, अब उनसे होगी वसूली
सुनील ओसवाल / मुंबई
राज्य में ‘ईडी’ २.० सरकार ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। मगर सरकार को कर्मचारियों को वेतन देने व अन्य कई योजनाओं पर खर्च करने के लिए फंड ही नहीं है। सरकार का खजाना खाली है। ऐसे में नवनिर्वाचित विधायकों को देने के लिए भी सरकार के पास ‘विधायक फंड’ नहीं है। बताया जाता है कि इसके लिए विधायकों को कम से कम ढाई-तीन महीने का इंतजार करना पड़ेगा। फंड का जुगाड़ होने के बाद उन्हें निधि आबंटित की जाएगी।
मंत्रालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछली सरकार ने जो विभिन्न विभागों में राशि दी थी, उनमें से कई ने पूरा पैसा खर्च नहीं किया है। अब सरकार जो पैसा खर्च नहीं हुआ है, उसे वापस लेने का मन बना रही है। इससे सरकार के खजाने में कुछ पैसा आने की उम्मीद है। बता दें कि राज्य सरकार को हर महीने खर्च के लिए २८ हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ३ करोड़ २० लाख रुपए की विधायक निधि बांटी थी। अब आचार संहिता खत्म होने के बाद १.८० करोड़ रुपए की बाकी धनराशि देनी है। मगर खजाना खाली होने से जिला योजना समितियों की ६० प्रतिशत और विधायकों की १.८० करोड़ की बकाया धनराशि मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि आगामी बजट आने के बाद ही विभिन्न मदों में पैसा आएगा।
नवनिर्वाचित विधायकों को २०२४-२५ के लिए दिसंबर से मार्च तक तीन महीने के लिए १ करोड़ ८० लाख रुपए की विधायक निधि मिलेगी। सरकार की ओर से अभी तक इसका वितरण नहीं किया गया है। सूत्रों ने बताया कि राज्य में जिला स्तर पर जिला योजना समिति को भी ४० फीसदी फंड मिल चुका है और अगले चरण के लिए २० फीसदी फंड आने वाले वर्षों में मिलेगा। समय आ गया है कि प्रशासन कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, विभिन्न योजनाओं के लिए दी जाने वाली सब्सिडी, ऋण और उस पर ब्याज के लिए, विभिन्न विभागों द्वारा खर्च न की गई रकम को वापस लेकर काम चलाए। बताया जाता है कि विभिन्न विभागों में कम से कम सात हजार करोड़ रुपए की राशि पड़ी है। फिलहाल, इस राशि को सरकार वापस लाकर अपना खर्च चलाएगी। बता दें कि राज्य सरकार को हर महीने मूलधन और ब्याज लौटाने, संजय गांधी निराधार योजना, एसटी निगम अनुदान आदि के लिए लगभग २८ हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। इस राशि को जुटाने के लिए शासन का युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है।