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संपादकीय : अमेठी, रायबरेली, वाराणसी! …जनता क्या करेगी?

राहुल गांधी ने साफ किया कि अगर कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति निर्देश देगी तो वे अमेठी से भी लड़ेंगे। यह राहुल गांधी की मासूमियत की निशानी है। गांधी २०१९ में अमेठी से हार गए थे। तब से ऐसा लगता है कि गांधी घराने के इस पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र से गांधी का मन उठ गया है। इस बार रायबरेली और अमेठी इन गांधीछाप निर्वाचन क्षेत्रों से गांधी परिवार से कोई भी चुनाव नहीं लड़ रहा है। राहुल गांधी केरल के वायनाड से उम्मीदवार हैं और सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा नहीं लड़ेंगी। श्रीमती गांधी राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं, लेकिन गांधी के बिना रायबरेली और अमेठी उत्तर के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र लोगों को स्वीकार्य नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की ८० लोकसभा सीटें दिल्ली में सत्ता की स्थापना के लिए निर्णायक होती हैं। उत्तर में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने हाथ मिला लिया है, लेकिन मायावती यानी ‘बसपा’ का हाथी भयभीत है और उसने अलग राह चुन ली है। ऐसा कहा जाता है कि जब तक उत्तर का समीकरण नहीं बन जाता, तब तक दिल्ली का रास्ता नहीं खुलता। अब अगर यादव-गांधी गठबंधन हो भी जाए तो राहुल खुद अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसलिए यादव-गांधी के मिले हाथ वाला घोड़ा आगे नहीं बढ़ेगा। राहुल गांधी की लोकप्रियता बेशक बढ़ी है। उत्तर प्रदेश में ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का जोरदार स्वागत हुआ, लेकिन कांग्रेस संगठन में असमंजस की स्थिति है। गांधी मैदान में होंगे तभी इसे गति मिलेगी। अगर इस बार कांग्रेस उत्तर प्रदेश में आठ-नौ सीटें जीत गई तो मोदी का रथ दिल्ली की सीमा पर लड़खड़ा जाएगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा का आंकड़ा बड़ा होगा। अगर इस आंकड़े को कम से कम २०-२५ भी कम किया जा सके तो इसे मोदी की तानाशाही की कब्र खोदना ही समझिए। अयोध्या के श्रीराम उत्तर में भाजपा की मदद करेंगे, इस बात का कोई संकेत नहीं है। जिस तरह मोदी की हवा नहीं है इस तरह श्रीराम मंदिर निर्माण की हवा नहीं है, यह बात भाजपा ने स्वीकार कर ली है। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में एक स्वतंत्र संस्था हैं। दिल्ली के भाजपा मंडल में एक योजना चल रही है कि इस संस्था को कमजोर कर दिया जाए और योगी महाराज को भी वसुंधरा राजे, शिवराजमामा, रमन सिंह की तरह अस्थिर और कमजोर कर दिया जाए। इस योजना से भाजपा के भास्कराचार्य खुद ही उत्तर का समीकरण बिगाड़ देंगे। योगी को बचाना है तो मोदी को हटाना होगा, इस तरह का माहौल योगी को मानने वाले एक बड़े जाति समुदाय में है। राजपूत, ठाकुर, यादव, दलित, ओबीसी, ब्राह्मण अपने पैâसले खुद लेते हैं और जाति के आधार पर वोट करते हैं और अगर यह गणित इस बार सच हुआ तो वाराणसी का चुनाव मोदी के लिए आसान नहीं होगा, इसे काले पत्थर पर लकीर समझिए। श्रीराम के विरोध के कारण ही कांग्रेस का पतन हुआ है, ऐसा प्रचार राजनाथ सिंह जैसे नेता उत्तर में करते हैं, लेकिन यही राम इस बार भाजपा के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं। मोदी का करिश्मा और चेहरे की चमक फीकी पड़ गई है। मोदी भी दो सीटों गुजरात और वाराणसी से चुनाव लड़ते हैं। इस बार वे क्या करेंगे? या फिर वाराणसी में डर के कारण कोई अलग पैâसला लेंगे? मोदी को क्या करना चाहिए यह उनका मामला है, लेकिन मोदी यानी भाजपा यही सच्चाई है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को ज्यादा से ज्यादा १५० सीटें मिलेंगी। अब तक राहुल गांधी ने जो-जो कहा है वो सच हुआ है। कुल मिलाकर माहौल से साफ है कि भाजपा किसी भी हालत में दो सौ का आंकड़ा पार करनेवाली नहीं है। भाजपा देशभक्तों की पार्टी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का गोदाम है। यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है। ऐसे वसूली रैकेट के सरदारों को जनता पराजित करेगी। मोदी कांग्रेस मुक्त भारत बनाने निकले थे, लेकिन देश में एक नया नारा ‘मोदी मुक्त भाजपा और भाजपा मुक्त भारत’ गूंजने लगा है। मोदी घरेलू समाचार चैनलों को इंटरव्यू दे रहे हैं। मोदी को कभी लगा ही नहीं कि सार्वजनिक प्रेस कॉन्प्रâेंस लेकर वे देश से संवाद स्थापित करें और पत्रकारों के सवालों का जवाब दें, क्योंकि इस आदमी में इतना आत्मविश्वास नहीं है। राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि एक घर की ही महिला द्वारा लिया गया मोदी का इंटरव्यू ‘फ्लॉप शो’ रहा, लेकिन अमेठी का क्या? ये सवाल बना हुआ है। भाजपा ने वरुण गांधी को दूर कर दिया है। अमेठी संजय गांधी की सीट है। यानी गांधी परिवार की शुरुआत संजय गांधी ने अमेठी से की थी। संजय की मौत के बाद राजीव गांधी अमेठी आए थे। इंदिरा गांधी रायबरेली में थीं और फिर सोनिया गांधी आर्इं। इसलिए अगर कांग्रेस पार्टी पैâसला लेती है तो वाराणसी और अमेठी सीट के नतीजे अलग हो सकते हैं। अगर कांग्रेस सिर्फ ये एलान कर दे कि प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी तो भी विश्वगुरु के पांव डगमगा जाएंगे। कांग्रेस को बस साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए। अगर पार्टी ने कहा तो ‘करूंगा’ यह कहना अनुशासन की बात है, लेकिन गांधी का मतलब ही कांग्रेस पार्टी यह नीति आज भी लोगों द्वारा स्वीकारी जा रही है। मोदी की जुमलेबाजी अब नहीं चलेगी। विष्णु के तेरहवें अवतार को हराने का बीड़ा गांधी और अखिलेश को उठाना ही चाहिए, क्योंकि यह तेरहवां अवतार वास्तविक नहीं है। हिंदू देवता भगवान विष्णु के दस प्राथमिक अवतार हैं। अब भाजपा ने मोदी को तेरहवां अवतार घोषित कर दिया। मोदी मनुष्य नहीं बल्कि अवतार हैं ऐसा कहने वाले हिंदुत्व का अपमान कर रहे हैं। ऐसे लोगों को पराजित करना आवश्यक है। देश का ध्यान अमेठी, रायबरेली और वाराणसी पर है, कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए।

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