मुख्यपृष्ठसमाचारएक और शंकराचार्य की ना... नहीं जाएंगे अयोध्या!

एक और शंकराचार्य की ना… नहीं जाएंगे अयोध्या!

-की जा रही धर्मग्रंथों की अनदेखी…वरिष्ठ संतों ने जताई चिंता

-प्राण प्रतिष्ठा पर शारदापीठ के शंकराचार्य ने उठाए सवाल

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

जहां एक मोदी सरकार राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश-विदेश में वाहवाही लूट रही है, वहीं दूसरी ओर देश के शंकराचार्य इस प्राण प्रतिष्ठा को अधूरा बताकर इसके निमंत्रण को अस्वीकार कर रहे हैं। गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, ​ज्योतिर्मठ, बदरिका, उत्तराखंड, के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज, शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने की बात कही है। इसी कड़ी में अब गुजरात के द्वारका स्थित शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आमंत्रण को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा है कि वह विवादों और `धर्म विरोधी ताकतों’ के जुड़े होने के कारण अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे, वहीं कांग्रेस ने भी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े किए है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वाकई पीएम मोदी आगामी लोकसभा चुनाव के पहले हिंदुस्थानियों का वोट पाने के लिए प्राण प्रतिष्ठा में कोई जल्दबाजी कर रहे हैं? खास बात है कि इस समारोह में शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे और इसी बात को लेकर यह विवाद बहुत ज्यादा चर्चा का विषय बन गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, स्वामी सदानंद सरस्वती ने गुजरात में अपने आश्रम में संवाददाताओं से कहा, `अगर कोई धार्मिक स्थल किसी विवाद में फंसा हो और उस पर धर्म विरोधी ताकतों का कब्जा हो तो वहां पूजा करना प्रतिबंधित है।’ स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा, `राम मंदिर आंदोलन पिछले ५०० वर्षों से चल रहा है और हम चाहते थे कि इसे (विवादित भूमि) हिंदुओं को सौंप दिया जाए। हम वहां मौजूद आध्यात्मिक शक्ति के लिए अयोध्या जाते हैं, लेकिन जब गैर-धार्मिक तत्व ऐसे क्षेत्र पर कब्जा कर लेते हैं तो हम उस आध्यात्मिक शक्ति को पाने में असफल हो जाते हैं।
शंकराचार्यों ने मोदी सरकार पर लगाया दोहरे चरित्र अपनाने का आरोप
शंकराचार्यों ने मोदी सरकार पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया है। उनका तर्क है कि सरकार राम मंदिर के निर्माण को क्रियान्वित करने के बावजूद, `राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू भावनाओं का शोषण कर रही है।’ कार्यक्रम में `मुख्य अतिथि’ के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी ने अयोध्या में २२ जनवरी को प्रस्तावित प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर वरिष्ठ संतों के बीच चिंताएं पैदा कर दी हैं।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि अयोध्या राम मंदिर अधूरा है। उन्होंने कहा कि मंदिर भगवान का शरीर है, मंदिर का शिखर भगवान की आंखों का प्रतिनिधित्व करता है और ‘कलश’ सिर का प्रतिनिधित्व करता है। शंकराचार्य ने कहा कि बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है।

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