मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की उलटन-पलटन : लोकसभा चुनाव में यासीन की दस्तक!

उत्तर की उलटन-पलटन : लोकसभा चुनाव में यासीन की दस्तक!

श्रीकिशोर शाही
कश्मीर का अलगाववादी यासीन मलिक तो कड़क धाराओं में जेल में बंद है, ऐसे में लोकसभा चुनाव में उसकी एंट्री वैâसे हो सकती है? सवाल तो वाजिब है, पर जेल में रहते हुए भी उसकी एंट्री हो चुकी है। यह अलग बात है कि फौरन ही उसकी एग्जिट भी हो गई। असल में चुनावी माहौल के बीच किसी ने दिल्ली के राजीव चौक पर उसका पोस्टर लगा दिया। खबर मिलते ही पुलिस तुरंत एक्शन में आ गई। दिल्ली पुलिस ने राजीव चौक पर लगे यासीन मलिक के पोस्टर को हटा दिया। लोकसभा चुनाव के बीच यह पोस्टर किसने लगाए, इस बारे में फिलहाल किसी को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अफवाहों का बाजार गर्म है। इन पोस्टर्स में यासीन मलिक की तस्वीर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ लगी हुई थी। इतना ही नहीं, पोस्टर में यासीन मलिक को रिहा करने के लिए कांग्रेस को वोट देने की अपील भी की गई थी। दिल्ली पुलिस ने फौरन सभी पोस्टर हटा दिए। बता दें कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने के मामले में यासीन मलिक सलाखों के पीछे बंद है। बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसकी राजनीतिक पार्टी पर लगे प्रतिबंध को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया था। उधर, भाजपा का कांग्रेस पर आरोप है कि वो यासीन मलिक मामले में नरम रुख अख्तियार करती है, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है यानी प्यार और जंग के साथ ही चुनाव में भी सब जायज है।

अनंत सिंह को क्यों मिला पैरोल?
बिहार की राजनीति में बाहुबली अनंत सिंह का काफी दबदबा रहा है। यह अलग बात है कि वे गत ५ वर्षों से जेल में हैं, मगर चुनावी माहौल का रसास्वादन करने के लिए वे भी बाहर आ गए। असल में बिहार में मोकामा के पूर्व विधायक और बाहुबली अनंत सिंह को मंगलवार को जेल से पैरोल पर रिहा किया गया है। लोकसभा चुनाव के बीच इस स्थिति को लेकर कई तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अनंत सिंह को १५ दिनों की पैरोल पर रिहा किया गया है। उन्होंने पिछले पांच साल जेल में बिताए हैं। अनंत सिंह २५ अगस्त २०१९ से बेउर जेल में बंद हैं। पिछले हफ्ते तबीयत खराब होने के बाद उन्हें आईजीआईएमएस ले जाया गया था। २१ जून २०२२ को एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें एके-४७, जिंदा कारतूस और हैंड ग्रेनेड मामले में दस साल की सजा सुनाई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान अनंत सिंह के जेल से रिहा होने को लेकर कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। अनंत सिंह का विधानसभा क्षेत्र मोकामा मुंगेर संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां अभी तक लोकसभा चुनाव नहीं हुए हैं। पिछले चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मुंगेर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं, लेकिन वो ललन सिंह से हार गर्इं। इस चुनाव में नीलम देवी एनडीए का हिस्सा हैं, जबकि ललन सिंह एक बार फिर एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। ललन सिंह और अनंत सिंह के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। नीलम देवी ने मोकामा में आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो उन्होंने जेडीयू का समर्थन कर दिया। माना जा रहा है कि जेडीयू का समर्थन करने से ललन सिंह के साथ उनके रिश्ते बेहतर हुए और अनंत सिंह को पैरोल मिलने का रास्ता भी साफ हो गया।

गुरुग्राम में स्टार पावर
उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भोजपुरी का ही सही पर एक स्टार चुनाव लड़ रहा है। अब गुरुग्राम से भी एक स्टार पावर चुनाव मैदान में कूद पड़ा है। ये हैं जनाब राज बब्बर। लंबे इंतजार के बाद आखिर कांग्रेस ने गुरुग्राम लोकसभा सीट पर अपने प्रत्याशी के रूप में फिल्म अभिनेता राज बब्बर का नाम फाइनल कर दिया है। इसके साथ ही दिल्ली से सटी हरियाणा की गुरुग्राम सीट पर मुकाबला अब रोचक हो गया है। इस सीट से कांग्रेस के टिकट को लेकर वैâप्टन अजय यादव और राज बब्बर का ही नाम सुर्खियों में था। पिछले दिनों राज बब्बर के नाम की इस कदर चर्चा हुई कि टिकट की दौड़ में शामिल वैâप्टन अजय यादव ने उन पर कई टिप्पणी तक करते हुए यहां तक कह दिया कि राज बब्बर ने गुरुग्राम के लिए क्या पांच साल पसीना बहाया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अगर किसी फिल्मी चेहरे को ही टिकट देना है तो करीना, रितिक, रणबीर कपूर या रणवीर सिंह को दे दिया जाए। बहरहाल, गुरुग्राम में बड़ी संख्या में पंजाबी वोट के साथ ही राज बब्बर को अपने फिल्मी पैâन का साथ भी मिल सकता है। हालांकि, लोगों का मानना है कि बब्बर को मनोज तिवारी से भिड़ाना चाहिए था, तब पता चलता कि असली बब्बर शेर कौन है?

 

 

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