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मुंब्रा रेल दुर्घटना को लेकर अपना पूर्वांचल महासंघ ने रेलवे पर साधा निशाना

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र के मुंब्रा में 9 जून को हुई भीषण रेल दुर्घटना ने मुंबई की लोकल ट्रेन व्यवस्था की पोल खोल दी है। इस हादसे में कई निर्दोषों की मौत हो गई और अनेक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए। इस हादसे को लेकर अपना पूर्वांचल महासंघ के अध्यक्ष अधिवक्ता अशोक दुबे ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को कड़े शब्दों में पत्र लिखकर रेलवे प्रशासन की लापरवाही पर जमकर लताड़ लगाई है।
दुबे ने पत्र में कहा है, “क्या सरकार की जिम्मेदारी केवल मुआवजा देकर खत्म हो जाती है? जिनकी जान गई, उनका क्या? रेलवे की तकनीकी और सुरक्षा व्यवस्था पर जवाबदेही तय होगी या नहीं?” उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि ये हादसा मानव भूल नहीं, बल्कि सिस्टम फेल्योर का परिणाम है–जो कि वर्षों से उपेक्षित और बदहाल लोकल ट्रेन ढांचे का सीधा नतीजा है।
पत्र में महासंघ ने खुलकर सवाल उठाया कि जब वातानुकूलित ट्रेनों में दरवाज़े ऑटोमैटिक रूप से बंद रहते हैं, तो वही सुरक्षा व्यवस्था मुंबई की करोड़ों जनता को ढोने वाली लोकल ट्रेनों में क्यों नहीं? क्या आम जनता की जिंदगी की कीमत एसी क्लास के यात्रियों से कम है? दुबे ने लिखा कि जब हादसे होते हैं, तभी अधिकारी “एक्टिव मोड” में आते हैं, वरना दिन-प्रतिदिन टूटती ट्रेनों, ओवरलोडिंग और खुले दरवाजों से हो रही मौतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने इसे “अघोषित हत्या” करार देते हुए रेल प्रशासन को आड़े हाथों लिया। तकनीकी सुधारों की मांग, “अब नहीं तो कभी नहीं” महासंघ ने मांग की है कि बिना देरी के मुंबई की सभी लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़ों की व्यवस्था लागू की जाए। टिटवाला, डोंबिवली, विरार, वसई, भायंदर, मीरा रोड, अंधेरी, चेंबूर, पनवेल, बेलापुर जैसे उच्च ट्रैफिक वाले स्टेशनों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि अब अगर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में ऐसे हादसों की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार और रेलवे प्रशासन की होगी।
पत्र का लहजा न सिर्फ सवाल करता है, बल्कि सिस्टम से जवाब भी मांगता है। अशोक दुबे ने रेल मंत्री से अपील की है कि वे इसे केवल एक दुर्घटना न मानें, बल्कि मुंबई की जान कहलाने वाली लोकल ट्रेनों की सुरक्षा के सवाल के रूप में देखें–और सुधारों की शुरुआत करें।

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