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अरविंद सावंत का एलान : भाजपा को मुंबईकर दिखाएंगे क्या होता है स्वाभिमान!

दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र से वर्ष २०१४ से लगातार सांसद रहे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अरविंद सावंत लोकसभा चुनाव २०२४ में जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। क्षेत्र में वे जमीन से जुड़कर लोगों की मदद व जनता के काम करते आ रहे हैं। शायद यही वजह है कि क्षेत्र की जनता उन्हें बहुत पसंद कर रही है। अपनी बेबाकी और कट्टर शिवसैनिक के रूप में पहचाने जाने वाले मजदूर नेता अरविंद सावंत ने मुंबई की समस्याओं को लेकर कई बार संसद में केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है। भारत-चीन सीमा का मुद्दा हो या पाकिस्तान से कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ या फिर जीएसटी की समस्या इन कई मुद्दों पर सरकार को आड़े हाथ लिया है। हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे और शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के आशीर्वाद को वे अपनी शक्ति मानते हुए गद्दारों को सबक सिखाने की अपील कर रहे हैं। दक्षिण मुंबई में लगभग ४४ प्रतिशत मराठी लोगों के साथ हिंदी भाषी लोग भी शिवसेना के पक्ष में नजर आ रहे हैं। दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं और अन्य विषयों पर अरविंद सावंत से `दोपहर का सामना’ के संवाददाता रामदिनेश यादव ने खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:

 क्षेत्र में आप बहुत लोकप्रिय हैं, जमीन से जुड़कर काम करने की प्रेरणा कहां से मिली है?
मैं शाहरुख खान हूं या रॉबिनहुड हूं, ऐसा नहीं है, मैं एक साधारण शिवसैनिक हूं। शिवसेना कभी भी पक्षपात नहीं करती है। उसने जनता के काम में कभी भेदभाव नहीं किया। किसी ने वोट दिया या नहीं दिया, हिंदू हो या किसी अन्य धर्म का, गरीब हो या अमीर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। सभी के लिए अरविंद सावंत हाजिर रहता है। मराठी लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सभी मुंबईकरों के लिए शिवसेना काम करती है। दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र में हमने क्रिश्चियन समाज के लिए काम किया है। मुस्लिम समुदाय को ५५ लाख रुपए की कार्डियक एंबुलेंस दी है। हम अस्पताल या किसी भी तरह की मदद के लिए तुरंत पत्र दे देते हैं। हमारे लिए मानवता ही सबसे ब़ड़ा धर्म है। जहां हमारे विधायक हैं, नगरसेवक हैं, वे काम करते हैं, जरूरत होने पर लोगों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। जहां हमारे विधायक या नगरसेवक नहीं हैं, वहां हम खुद नगरसेवक व विधायक की तरह गली-गली में जाकर लोगों की समस्याओं का निवारण करते हैं। इतना ही नहीं व्यापारी वर्ग के लोगों का भी काम शिवसेना करती है। दक्षिण मुंबई में व्यापारी वर्ग जीएसटी से बहुत परेशान था उनकी समस्या को लेकर हमने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर समस्या का निपटारा किया था। जबकि भाजपा के ही कुछ मंत्री इन समस्याओं पर गंभीर नहीं थे। जमीन से जुड़कर काम करना हमें हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने सिखाया है।

 यहां आपकी लड़ाई सीधे भाजपा से है। क्या कुछ कहना चाहेंगे?
यह सच है कि हम तब युति में थे, लेकिन उनके झूठ और उनकी गद्दारी के चलते हमने अलग होना ही बेहतर समझा। जब उन्होंने कहा कि पूरा महाराष्ट्र भाजपामय होगा, तभी हमने समझ लिया कि उनके मन में अब पाप आ गया है। अपने शब्दों और वादों पर मुकरनेवाली भाजपा से अलग होकर उनके खिलाफ लड़ना हमें मंजूर है। वंदनीय हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे का आशीर्वाद हमारे साथ है। आज हम उनके आशीर्वाद और पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में भाजपा के खिलाफ पूरी ताकत और मजबूती के साथ खड़े हैं। उद्धव ठाकरे का दृढ़ निश्चय ही हमारी ताकत है और हम इस चुनाव को दिखाएंगे कि स्वाभिमान की लड़ाई वैâसी होती है।

 गद्दारों में सबसे बड़ा गद्दार कौन?
शिवसेना के साथ अब तक छगन भुजबल, नारायण राणे ने भी घात किया है लेकिन सबसे बड़ा घात एकनाथ शिंदे ने किया है। शिवसेना पक्ष पर कब्जा करने की कोशिश की है। ये वही शिंदे हैं, जिन्होंने कल्याण के एक कार्यक्रम में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। फंड नहीं दे रहे हैं, इतने खफा थे कि इस्तीफा देने को भी तैयार थे। वही लोग उनके साथ चिपककर सत्ता में जा बैठे हैं। सत्ता के लिए इतना नीचे जा गिरेंगे यह कभी किसी ने नहीं सोचा था।

 भाजपा सरकार महाराष्ट्र के निवेश अन्य राज्यों में लेकर जा रही है, तो राज्य का विकास कैसे होगा?
मुंबई के विकास में मराठी लोग तो शामिल हैं ही, लेकिन उत्तर भारतीय, गुजराती और जैन समाज के लोगों ने भी मुंबई के विकास में बराबर का योगदान दिया है। इसीलिए शिवसेना मुंबईकर की बात करती है, जिसे मुंबई से प्यार है और मुंबई के विकास में योगदान दे रहा है। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार मुंबईकरों पर सबसे बड़ा हमला कर रही है। इंटरनेशनल फाइनेंसियल सर्विस सेंटर हब को यहां से हटा दिया है। जबकि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है इसलिए यहां पर यह फाइनेंसियल सेंटर हब होना चाहिए, लेकिन यह दूसरे राज्य में गया। अन्य कई वित्तीय संस्थानों के मुख्यालय हटा दिए हैं। डायमंड बोर्स मार्केट को सूरत ले गए, मुंबई के अलावा आस-पास के शहरों में आनेवाले विदेशी वेदांता फॉक्सकॉन, टाटा एयरबैग, मेडिसिन हब आदि निवेश भी गुजरात ले गए। आखिर क्यों? हमें गुजरात में उद्योग जाने का विरोध नहीं है। वह भी तो हमारे देश का हिस्सा है, लेकिन जो महाराष्ट्र और मुंबई के हिस्से का है उसे क्यों ले जा रहे हैं? मुंबईकरों को रोजगार देने की बजाय उनसे रोजगार क्यों छीन रहे हो? भाजपा सरकार में मुंबईकरों पर यह सबसे बड़ा हमला है।

 एनटीपीसी की जमीनों पर विकास कब होगा?
दक्षिण मुंबई को मिल मजदूरों का गढ़ माना जाता रहा है। वर्ली, शिवड़ी, भायखला इन क्षेत्रों में सर्वाधिक मिलें रही हैं। इन जमीनों पर विकास कर मिल मजदूरों को घर देने की योजना है। इसके लिए भी शिवसेना ने खूब लड़ाई लड़ी है। इन बंद पड़ी मिलों की जमीनों को विकसित करने की बजाय भाजपा सरकार इसे बेचने की फिराक में है। एनटीपीसी की जमीनों को लेकर जब मंत्री पीयूष गोयल से बात की थी तो उन्होंने साफ कहा कि जाने दो न, क्यों उसके लिए परेशान हो। आखिर, इन जमीनों को बेचना ही है। मुंबई में शिवड़ी में बीडीडी चॉल के विकास के लिए केंद्र सरकार एनओसी नहीं दे रही है। पुरानी चॉल को हड़पने की साजिश कुछ बिल्डरों द्वारा की जा रही है। इस सरकार ने तो बस मूल मुंबईकरों को मुंबई से बाहर करने की साजिश कर रही है।

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