येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
सभै जात बाटेन का बाबू का भइया
केहु के घरे से भरी कार जाता
त टेक्टर से केहू क घर बार जाता
केहु पैदलइ भोरे से नाधे बाटइ
टुटा बाटइ चप्पल भगा जात बाटइ
जहैं देख भइया टुटी भीड़ बाटै
का गाड़ी का घोड़ा जुटी भीड़ बाटै
बहुत होइ गवा भाय आलस तूं छोड़
चलऽ घूमि आई जहां भीड़ बाटै
तजऽ मोह माया भुलावऽ घरे के
भरल पाप गठरी कहां ई धरे के
चलऽ हालि-हालि तूं डुबकी लगाव
बिना यंह नहाए कहां केउ तरे के
नहाये के बादै मिटे पाप भइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
भुलई क घर बार परिवार जाता
टुटल भीड़ बाटइ ह संसार जाता
कथरी दबाए भगा जाथैं मंगरू
त नोखई के दुलहिन ससुर सार जाता
केहू कंठी माला जपत राम बाटै
केहू के घरे में बहुत काम बाटै
केहू के मने में लगी धुकधुकी बा
नहाई कि नाही इ संग्राम बाटै
नैहर के लुगरी क बातइ निराली
सुन मोर बिटिया सुन मोर लाली
कहऽ हमरे पाहुन से हमहूं नहाबइ
कहत बाटै बिटिया चल हालि हालि
पाहुन बेचारा बना बा खेवइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
लिहे चार गठरी चली जात बाटिन
सखी चार साथे बढ़ी जात बाटिन
कि भउजी के देखैं करामात भइया
बिना कुछु लड़े बस चली जात बाटिन
दुनौ हाथ जोड़े मनावत हैं भइया
कि हरदम्मै अइसइ रखऽ गंगा मइया
कि जिनगी में हमरे उजाला रहै बस
रहै पूरा परिवार हंसतै हे मइया
भले टेट खाली बा हर साल आउब
हमेशा नहवने में डुबकी लगाउब
मनइ मन मनावत हइनि बड़की भउजी
कि हर साल माई के पियरी चढ़ाउब
सभै के बा मनसा हऽ माइ पुरैया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
बसड्डा भरा बा लगी भीड़ भारी
जम्हाई में मातत बा देखऽ सवारी
लगा जाम कइयउ किलोमीटर देखा
घंटन से रेंगत बा भिड़िया बेचारी
सइकिल कपारे पे केउ लादे बाटै
केहू फटफटहिया पे बल बांधे बाटै
केहू झोरा लादे भगा जाता पैदल
बा अचरज की गाड़ी से ऊ आगे बाटै
बेचारे डराइबर हयेन हक्का बक्का
कि पंहुचइ में लागे बहुत देर पक्का
कि घंटन से गाड़ी दरैं में खड़ी बा
कि पैदल निकलि जाता जत्था पे जत्था
मूड़े पे लादे बा बोझा रमइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
हरिया के माई उतरि गइ बेचारी
लगे हाथ साथैं उतरि गइ सवारी
लगावज्जा अहरा लगै बट्टी चोखा
लियावा सिधा लागि बा भूख भारी
खिला सबकऽ चेहरा मगन होइ गयेन सब
बटावइ लगेन हाथ फरहर भयेन सब
जेहर देख ओहरइ लगै लाग अहरा
बनै लाग भोजन लगा बस पे पहरा
घंटन निकलि गै बढ़ी बस न आगे
एहर भै खवाई जम्हाई के आगे
केहू पान हेरै मलत केउ बा खैनी
केहू चैन से बा कतंउ बा बेचैनी
ओहर सीट पे सोवैं बड़का सोवइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
ओहर रेलगाड़ी के बातै निराली
भरी बा खचाखच छतौ पे सवारी
चढ़ी जाथैं अइया तबौ देखऽ राजू
लिहे झोरा झोरी दिहे जाथैं गारी
केहू तैस में बाऽ केहू बाटै घूरत
मुला जइहीं सभै हऽ सबके जरूरत
लिहे बाटइ डोल्ची खड़ी बा बहुरिया
लगत बाटै जइसे उ देबी के मूरत
जे बइठइ के पाए बा दुबका पड़ा बा
जहां जे खड़ा बा उंही पे अड़ा बा
लटकी बा खिड़की पे सट्टैं से सइकिल
मोहरवइ के कइयउ ठे गठरी पड़ा बा
नतिनिया के पकड़े हइन कसि के अइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
टेसन पे जइसइ पहुंचि गइ बा गाड़ी
हटज्जात भइया समनवा उतारी
ददा के इ कहतै शुरु होइ गऽ हल्ला
जेहर देख ओहरै भिड़ी बा सवारी
जे बलवान बाटै चढज्जात बाटै
केहु के दबाए बढ़ज्जात बाटै
बेचारू ददा जाइ बइठेन दुबक के
कहज्जात बाटेन कि बज्जात बाटै
भरा प्लेटफारम न सरसउ के जगहां
धरी गोड़ कहंवा कहां बाटै जगहां
रगड़ि के चलत बाटेन मनई से मनई
हिलत बाटै पुलिया डरत बाटेन मनई
बढ़ी धुकधुकी बा कि दइया रे दइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
शास्त्री पुले पे खड़ा दद्दा बाटेन
कि जाइ कहां हम परेशान बाटेन
जहां तक नजर जात बाटै बा तंबू
गजब बा नजारा उ हैरान बाटेन
कि तबले लइटिया बरी जगमगाके
जेहर देख ओहरै स्वरग तांई लागे
कि लप लप बरत बा गजब बा नजारा
कि धरती पे जइसे बा उतरा सितारा
कि शरमात बा आसमानउ छुपा बा
महाकुंभ देखत बा संसार सारा
मनई मनइ मन से मनवा में झांके
सफल होइग जिनगी कलब्बास आके
बचा जे भी बाटऽ चला आवऽ भइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया
इंहां देबी देवता उतरि आइ बाटेन
कथा चलि रही बा सुनत जात बाटेन
जहां देख सबके तपस्या चलत बा
कि पंडित पुजारी के पूजा फलत बा
सुबह शाम दुपहर नहाताटेन बाबू
कलब्बास मन से करतबाटेन बाबू
संगम के तट पै मची भीड़ बाटै
जहैं देख बमबम करत बाटेन बाबू
लड़िका गदेला खरीदैं खेलवना
त नइकी बहुरिया खरीदत बा पलना
नाउ पे बइठा बा परिवार सारा
करैं गंगा दर्शन देखत बा किनारा
बुड़त हैं तेवारी खेवऽ गंगा मइया
येसंउ लाग बाटइ महाकुम्भ अइया।
-पंकज तिवारी, जौनपुर