मुख्यपृष्ठराजनीतिबब्बा बोलो ना...बलिया में बुजुर्गों का महत्व

बब्बा बोलो ना…बलिया में बुजुर्गों का महत्व

अरुण कुमार गुप्ता

आम मान्यता है कि किसी अच्छे कार्य के लिए जाते समय यदि बड़े बजुर्ग का आशीर्वाद मिल जाए तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है। इस परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश की बलिया लोकसभा सीट से बुजुर्गों के वोट सांसद बनाने में बेहद अहम होने वाले हैं। बलिया की सात विधानसभाओं में ४,८९,९७७ बुजुर्ग मतदाता हैं। यह संख्या कुल मतदाताओं की १९.५१ फीसदी है। चुनाव में जीत हार के लिए यह आंकड़ा किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में काफी अहम साबित होगा। इस बार जो भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे उनके लिए बुजुर्ग मतदाताओं का आशीर्वाद अहम साबित होगा। लोकसभा चुनाव के लिए जो मतदाता सूची तैयार की गई है उसमें ६० साल या इससे अधिक आयु के ४,८९,९७७ मतदाताओं के नाम शामिल हैं। जिसमें सबसे अधिक ८३,४७६ बुजुर्ग मतदाता बांसडीह विधानसभा में हैं। इस विधानसभा में हैं। बेल्थरारोड विधानसभा में यह संख्या ७२,८४८, है। वहीं, रसड़ा में ७०,१३१, सिकंदरपुर में ५७,३९७, फेफना में ६३,१६१, बलिया नगर में ६८,१९८ और बैरिया विधानसभा में यह संख्या ७४,७५१ है। बलिया के सात विधानसभा क्षेत्रों में ११०४ मतदाता ऐसे भी हैं जो सौ साल या उससे ऊपर की आयु के हैं। जिसमें सबसे अधिक ३६१ मतदाता बांसडीह विधानसभा में है। वहीं बैरिया विधानसभा में ३४९ तथा बेल्थरारोड विधानसभा में १५१, रसड़ा में १३४, सिकंदरपुर में ४८, फेफना में ३७ और बलिया नगर में २३ मतदाता १०० साल के आंकड़े को पार कर गए हैं। बुजुर्ग मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि इनका झुकाव जिस तरफ होगा उस प्रत्याशी का जीतना तय है।

प्रशिक्षण छोड़ भागे कर्मचारी
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी ड्यूटी से दूर रहने के लिए कर्मचारी तरह-तरह के बहाने बनाकर अपना नाम कटवाना चाहते हैं। इसी बीच गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से एक ऐसी खबर आई है कि लोग सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं कि आखिर कर्मचारी चुनावी ड्यूटी से दूर रहना क्यों चाहते हैं। हुआ यूं कि गोरखपुर के एक प्रशिक्षण केंद्र में कर्मचारियों का प्रशिक्षण चल रहा था। इस बीच कुछ कर्मचारी पानी पीने, कुछ शौच का बहाना बनाकर बाहर निकले और भागने लगे, जिन्हें प्रभारी अधिकारी कार्मिक व सीडीओ संजय मीना समेत कुछ अन्य अधिकारियों ने दौड़ाकर पकड़ा और चेतावनी देकर वापस प्रशिक्षण कक्ष में भेजा। इसके बाद अधिकारियों ने एहतियातन कला संकाय के मुख्य द्वार पर लगा शटर बंद कर दिया। यहां पहले ही दिन ८५ कर्मचारी देर से पहुंचे जबकि १९६ कर्मचारी पहुंचे ही नहीं। प्रभारी अधिकारी कार्मिक ने सभी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इन पर विभागीय कार्रवाई भी करने के निर्देश दिए गए हैं। अनुपस्थित कार्मिकों में ९१-पीठासीन अधिकारी व १०५-मतदान अधिकारी-प्रथम शामिल हैं। उधर प्रशिक्षण शुरू होने के दो घंटे बाद जैसे ही उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हुई, कई कर्मचारी मौका देखकर बाहर निकल गए ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि इन मतदान कर्मियों से फेयर मतदान की अपेक्षा कैसे की जाए।

इस बार जरूर बनेगा सांसद
उत्तर प्रदेश के बांदा डीएम ऑफिस में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक शख्स झोला लेकर नामांकन पत्र खरीदने पहुंच गया। इस शख्स ने पिछले २५ से ३० सालों के हर चुनाव यानी प्रधानी, नगरपालिका, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक के चुनावों में नामांकन किया है। इस बार वो जीत का प्रमाण पत्र लेकर ही जाएगा और क्षेत्र का विकास करेगा। नामांकन पत्र खरीदने आने वाले शख्स मुकेश जैन ने बताया कि वो लोकसभा चुनाव का नामांकन पत्र लेने आए हैं। चाहे प्रधानी हो, चेयरमैन हो, या विधायक का चुनाव हर बार बहुत दबाव पड़ता रहा है। अब उन्होंने आखिरी चुनाव लड़ने का पैâसला किया है। मैं भावी सांसद हूं, मुझे लोगों की दुआएं मिल रही हैं। इस बार मैं सांसद का प्रमाण पत्र लेकर ही जाऊंगा। बांदा का विकास करना है मेरा मुद्दा यह है। वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि लोग पलायन कर रहे हैं। लोगों के पास काम धंधा नहीं है। लोगों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए मैं इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहा हूं। ऐसे में अब चुनाव परिणाम ही बताएगा कि जैन साहब को इस बार कामयाबी मिलेगी या नहीं।

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