गजेंद्र भंडारी
राजस्थान में ६ जनवरी को जब डॉ. किरोड़ी लाल मीणा मंत्री बने थे, तब कहा था कि हम २० साल का वनवास काटकर आए हैं, लेकिन ६ महीने में इस्तीफा देकर फिर से किरोड़ी लाल मीणा वनवास पर निकल गए। इस मामले पर गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि बीजेपी ने किरोड़ी लाल मीणा का अपमान किया है। हालांकि, आपको याद दिला दें कि डोटासरा ने पहले कहा था कि मैं किरोड़ी लाल मीणा को जानता हूं, वो थूककर चाटने वालों में नहीं हैं। अपनी बात के पक्के हैं। अगर उन्होंने इस्तीफा देने की घोषणा की है तो जरूर ही देंगे। वहीं रतनगढ़ विधायक पूसाराम गोदारा बोले- किरोड़ी लाल मीणा हर बार इसी तरह मंत्री पद से इस्तीफा देकर ड्रामा करते हैं। कांग्रेस पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम के हिसाब से हम सदन में सरकार को घेरेंगे। किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिया, इस पर भी जवाब लेंगे। बीजेपी की ४ सीटों भरतपुर, धौलपुर-करौली, दौसा और टोंक-सवाईमाधोपुर में चुनावों में हुई हार के बाद से विरोधियों की तरफ से किरोड़ी को उनके वचन याद दिलाए गए थे और इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी। दरअसल, किरोड़ी को चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने दौसा समेत ७ सीटों की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन यहां हार मिली।
अपनी-अपनी तैयारी
लोकसभा चुनाव के बाद कुछ विधायकों के सांसद बनने से राजस्थान की ५ विधानसभा सीटें खाली हुई हैं, जिन पर आने वाले महीनों में उप चुनाव होने हैं। ऐसे में उप चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इन सीटों में हनुमान बेनीवाल की खींवसर सबसे हॉट सीट है, जहां से जीतना इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि, अभी उप चुनाव की तारीखों को लेकर कोई एलान नहीं हुआ है। दरअसल, माना जा रहा है कि खींवसर समेत राजस्थान की ५ विधानसभा सीटों पर नवंबर के आस-पास चुनाव हो सकते हैं। इसे लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं। इस बार बहुजन समाज पार्टी भी उपचुनाव के मैदान में उतरने वाली है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प होने वाला है। हाल में राजस्थान में होने वाले उप चुनाव को लेकर बीजेपी की बैठक हुई। इसमें इन ५ विधानसभा सीटों पर चिंतन और मंथन हुआ। कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी इस बार संगठन में काम करने वाले या किसी पुराने चेहरे को ही टिकट देगी, क्योंकि पार्टी के पॉपुलर नेताओं को नजरअंदाज करने का नुकसान पार्टी लोकसभा चुनाव में उठा चुकी है। खासकर, खींवसर सीट पर जातिगत समीकरण को देखते हुए भी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं।
माइक बंद करने की राजनीति
राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र शुरू होते ही स्थगित हो गया। सदन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही कांग्रेस के विधायकों ने नारेबाजी की। नाराजगी इस बात को लेकर थी कि बिना राज्यपाल के अभिभाषण के सत्र की शुरुआत की गई। वहीं कांग्रेस ने लोकसभा के बाद अब विधानसभा में भी माइक बंद करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज दबाना शर्मनाक है। लोकसभा और राज्यसभा के बाद विधानसभा में माइक बंद किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का माइक बंद करके उन्हें जनता की आवाज उठाने से रोका गया। इधर जूली ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि अध्यक्ष जी, लोकसभा में माइक बंद कर देते हैं और यहां मेरा भी माइक बंद कर रहे हैं। क्या यही भाजपा का लोकतत्र है? क्या आमजन की आवाज उठाना अपराध है? क्या दलित-पिछड़ों की पैरवी करना गलत है? सदन की ये परंपरा गैर लोकतांत्रिक है।