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सतर्क रहें, सावधान रहें : लोन फ्राॅड से कैसे बचें…

 

राज ईश्वरी

अगर आपके क्रेडिट रिपोर्ट में ऐसे लोन का जिक्र हो, जिसके लिए कभी अपने अप्लाई ही नहीं किया है तो आपके तो होश उड़ जाएंगे।
धोखाधड़ी के ऐसे मामलों को आइडेंटिटी थेफ्ट कहा जाता है। यानी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत और फाइनेंशियल जानकारी चुराकर उनके नाम से प्रâॉड लोन अकाउंट बनाना।
लोन फ्राॅड से कैसे बचें…
अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को समय-समय पर चेक करें
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी पहचान का उपयोग करके कहीं नए लोन अकाउंट तो नहीं खोले गए हैं तो समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को चेक करें।
आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट के अकाउंट सेक्शन को देखें और चेक करें कि क्या सभी क्रेडिट अकाउंट आपके अपने हैं।
यदि आपको अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में किसी ऐसे कोई क्रेडिट अकाउंट का पता चलता है, जिसके लिए आपने अप्लाई नहीं किया है तो संबंधित क्रेडिट ब्यूरो के साथ तुरंत डिस्प्यूट दर्ज करें।
अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी को न बताएं
आपकी व्यक्तिगत जानकारी गोपनीय होती है और इसे किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए, चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, कॉल पर या व्यक्तिगत रूप से।
आपके पैन और आधार दस्तावेज भी बेहद गोपनीय होते हैं और उनकी फोटोकॉपी स्टेटमेंट ऑफ पर्पज के बिना शेयर नहीं की जानी चाहिए।
यह हमेशा ध्यान रखें कि कोई बैंक / एनबीएफसी / फिनटेक अधिकारी आपसे कभी भी पासवर्ड, नई बैंकिंग जानकारी, एटीएम पिन जैसी गोपनीय जानकारी नहीं मांगता है।
केवल सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप का उपयोग करें।
किसी भी प्लेटफॉर्म / ऐप का उपयोग करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह बड़ा और भरोसेमंद हो।
आपकी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित है, यह पता करने के लिए आपको आईएसओ सर्टिफिकेशन जैसे सेफ्टी चेक का उपयोग करें।
फिशिंग अटैक से खुद को सुरक्षित रखें
ऐसे स्रोतों से प्राप्त ईमेल को न खोलें जिनके बारे में आपको पता न हो। ऐसी लिंक पर क्लिक करने से या अटैचमेंट डाउनलोड करने से आपके कंप्यूटर या स्मार्टफोन में वायरस आ सकता है या आपके साथ धोखाधड़ी हो सकती है। कुछ वायरस आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाते हैं, जबकि अन्य आपकी व्यक्तिगत जानकारी और पहचान को चुरा सकते हैं।

पासवर्ड, पिन, ओटीपी, क्रेडिट कार्ड संबंधी जानकारी और यहां तक कि आपकी जन्मतिथि जैसे पर्सनल डेटा को शेयर करने से पहचान की चोरी के मामले बन सकते हैं, जिनके तहत आपको पता भी नहीं चलेगा और आपकी पहचान का उपयोग करके ट्रांजेक्शन किया जा सकता है।

– बहुत से लोग, जिन्हें पैसों की तुरंत जरूरत होती है, ऐसे प्लेटफार्म और मोबाइल ऐप के जरिए लोन ले लेते हैं जो वेरिफाई नहीं होते हैं। डिजिटल लेंडिंग पर आरबीआई की वर्किंग ग्रुप रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ६०० से अधिक गैर- कानूनी लेंडिंग ऐप काम कर रहे हैं।

किसी वेबसाइट का यूआरएल दर्ज करते समय, टाइपिंग की साधारण-सी गलती से भी आपका पता स्वैâमर्स को लग सकता है, क्योंकि हर जानी-मानी वेबसाइट के लिए समान डोमेन नेम वाली दर्जनों नकली वेबसाइटें होती हैं। कुछ वेबसाइटें ऑरिजिनल वेबसाइट की तरह दिखती हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सही वेबसाइट पर जा रहे हैं, अपने वेब ब्राउजर पर लिंक को बुकमार्क करें, सर्च इंजन रिजल्ट के ज़रिए वेबसाइट की लिंक खोलें या आपके द्वारा टाइप किए गए यूआरएल को दोबारा चेक करें।

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