मुख्यपृष्ठटॉप समाचारदेश के बड़े कारोबारियों को हुआ फायदा!

देश के बड़े कारोबारियों को हुआ फायदा!

-५२ फीसदी हिंदुस्थानी मानते हैं मोदी सरकार की नीतियां गरीबों के हित में नहीं

-मूड ऑफ द नेशन सर्वे से हुए चौंकानेवाले खुलासे

सामना संवाददाता / मुंबई 

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही लाख दावे कर लें कि भाजपा सरकार ने गरीबों के हित के लिए कई नीतियां बनाकर जनता को लाभान्वित किया है। लेकिन जनता उनके दावे को सीधे-सीधे नकार रही है। देश की ५२ प्रतिशत से अधिक जनता मान रही है कि मोदी सरकार की नीतियां आम लोगों के हित में नहीं, बल्कि बड़े करोबारियों के फायदे को देखकर बनाई गई हैं। इतना ही नहीं देश की ४५ प्रतिशत से अधिक जनता का मानना है कि मोदी सरकार के १० साल के कार्यकाल में अमीरी-गरीबी के बीच खाई तेजी से बढ़ी है। आर्थिक समानता को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही लाख दावे कर लें कि भाजपा सरकार ने गरीबों के हित के लिए कई नीतियां बनाकर जनता को लाभान्वित किया है। लेकिन जनता उनके दावे को सीधे-सीधे नकार रही है। देश की ५२ प्रतिशत से अधिक जनता मान रही है कि मोदी सरकार की नीतियां आम लोगों के हित में नहीं, बल्कि बड़े करोबारियों के फायदे को देखकर बनाई गई हैं। इतना ही नहीं देश की ४५ प्रतिशत से अधिक जनता का मानना है कि मोदी सरकार के १० साल के कार्यकाल में अमीरी-गरीबी के बीच खाई तेजी से बढ़ी है। आर्थिक समानता को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं।
उधर अधिक आय वर्ग के शीर्ष ५० प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करनेवाले कॉरपोरेट्स कर्मचारियों के वेतन में पिछले दो वर्षों में १० प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। राजनीतिज्ञों लोगों की नजर में मात्र एक व्यावसायिक घराने, अडानी समूह का विकास बहुत तेजी से हुआ है। अन्य कंपनियों पर अडानी समूह हावी रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी अडानी समूह का विकास तेजी से जारी रहा, जो भारत में विकास दर और व्यापारिक समुदाय में अपने साथियों की वृद्धि से भी आगे निकल गया। लोगों ने यह समझ लिया है कि नीतियां किस प्रकार सबसे निचले पायदान पर मौजूद लोगों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में स्पष्ट है कि एक वर्ग को केंद्र सरकार की नीतियों से लाभ हुआ है। सरकार इसका ढिंढोरा पीट रही है कि पिछले दस वर्षों में टैक्स अदा करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। लेकिन, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड करदाताओं की संख्या दोगुनी से अधिक ७.७८ करोड़ होने का दावा करता है पर यह `डाटा’ एक बड़ी कहानी छुपाता है, जिसका आर्थिक समानता के आंकड़ों पर प्रभाव पड़ता है। पिछले ३० वर्षों में ऐसा तीन बार हुआ है जब व्यक्तिगत करदाताओं का आंकड़ा कॉरपोरेट की तुलना में अधिक टैक्स अदा किया है। सरकार लोगों को राहत दे सकती थी लेकिन बजट २०२४ में भी टैक्स में कहीं छूट देने का कोई प्रावधान नहीं किया है। लंबे समय तक तेल की कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहने के बावजूद पेट्रोल और ईंधन पर भारी और निरंतर उपकर लगाया गया है, क्योंकि इसका कोई भी लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दिया गया। यह भी
३२.५ फीसदी किसानों को रास नहीं आई मोदी की नीति
मोदी सरकार में किसानो की हालत बहुत अच्छी नहीं रही है। ३२. ५ फीसदी किसानों का मानना है कि मोदी सरकार में उनकी दशा और खराब हुई है। शायद यही वजह है कि अपनी मांगों को लेकर किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं, उनकी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। सर्वे में शामिल ऐसे ३३.४ फीसदी किसान जिनके पास अपनी जमीनें हैं। उनका कहना है कि २०१४ में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। लगभग ३० फीसदी किसानों का कहना है कि उनकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है जबकि ३२.५ फीसदी किसानों का कहना है कि उनकी स्थिति और खराब हुई है। ऐसे किसान जिनके पास खेती की जमीन नहीं है। ऐसे एक-तिहाई से अधिक किसानों का कहना है कि मोदी सरकार के आने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, वहीं ऐसे २२ फीसदी किसानों का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति और बदतर हुई है।

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