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भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा का निधन

 

रमेश सर्राफ धमोरा
जयपुर। उदयपुर क्षेत्र की सलूंबर विधानसभा सीट से लगातार तीन बार के भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा (६५) का बुधवार देर रात उदयपुर में निधन हो गया। मीणा की तबीयत बिगड़ने पर रात को उन्हें एमबी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। रात २ बजे डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। गुरुवार शाम को सलूंबर में उनके पैतृक गांव लालपुरिया में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार से पहले पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने लालपुरिया स्थित अमृतलाल मीणा के घर पहुंचकर उन्हें अंतिम विदाई दी। अमृतलाल की आदिवासी नेता के तौर पर भी पहचान थी।

सलूंबर जिले के लालपुरिया गांव में साल १९५९ में जन्में अमृतलाल मीणा करीब २० साल राजनीति में सक्रिय रहे। मीणा ने साल २००४ में पंचायत समिति सराड़ा के सदस्य के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी। उसके बाद साल २००७-१० तक जिला परिषद उदयपुर के सदस्य और २०१० में पंचायत समिति सराड़ा में प्रतिपक्ष नेता बने। वे पहली बार साल २०१३ में विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस की बसंती देवी मीणा को हराया था। उसके बाद २०१८ और २०२३ में कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह मीणा को हराकर विधानसभा पहुंचे।

२०२१ में अमृतलाल मीणा को १० दिन से ज्यादा समय जेल में रहना पड़ा था। २०१५ में अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी सेमारी से सरपंच का चुनाव जीती थीं। शांता देवी की प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सुगना देवी ने उनके खिलाफ फर्जी मार्कशीट को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। सीबी-सीआईडी की जांच में मार्कशीट फर्जी पाई गई। अमृतलाल मीणा ने बतौर अभिभावक पत्नी की पांचवीं की मार्कशीट पर साइन किए थे। इसलिए उन्हें आरोपी बनाया गया था। सुगना देवी की शिकायत के बाद मामला स्थानीय कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने विधायक अमृतलाल मीणा को मामले में ३ सप्ताह में स्थानीय कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए। न्यायालय ने मीणा की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था।

राजस्थान विधानसभा में २०० विधायक एक साथ नहीं रहने का संयोग लंबे समय से चल रहा है। किसी न किसी वजह से ऐसा हुआ है, जब यह संख्या पूरी नहीं रही। कभी विधायकों के निधन तो कभी इस्तीफे या कभी जेल जाने के कारण २०० विधायक एक साथ नहीं रहे।

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