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ब्लैक फ्राइडे : …जब धमाकों से मुंबई दहल उठी …आतंकियों ने खेली थी खून की होली

फिरोज खान

कहते हैं वक्त के साथ जख्म भर जाते हैं, लेकिन कुछ खूंरेज घटनाएं ऐसी होती हैं जिनका दर्द और गम कभी भुलाया नहीं जा सकता। १९९३ का मुंबई सीरियल ब्लास्ट काली स्याही से इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
एक चूक
१९९३ बम विस्फोट का मुख्य आरोपी टाइगर मेमन के खिलाफ कस्टम विभाग ने कोफेपोसा का डिटेंशन ऑर्डर निकाला था। बावजूद इसके टाइगर बे रोक-टोक मुंबई से दुबई व विदेश में कई अन्य शहरों में आता-जाता रहा। वह कभी भी कस्टम विभाग द्वारा पकड़ा नहीं गया। अंडरवर्ल्ड के लोग कस्टम विभाग वालों की मिलीभगत से समुद्र के रास्ते गोल्ड और सिल्वर की तस्करी करते थे। उसी में टाइगर मेमन के खिलाफ कोफेपोसा का डिटेंशन का ऑर्डर निकल चुका था। अंडरवर्ल्ड ने जब ब्लास्ट की साजिश रची तो सरगनाओं ने धमाकों के लिए जरूरी आरडीएक्स हथियार और गोला-बारूद मुंबई पहुंचाने के लिए समुद्री रास्ता चुना। उसी दौरान टाइगर मेमन ने हवाई जहाज से अपने लोगों को मुंबई से वाया दुबई और पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भिजवाया। वह खुद भी पाकिस्तान गया था। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एम.एन. सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर टाइगर पर उस वक्त कस्टम विभाग वालों ने ध्यान दिया होता, तो मुंबई ब्लास्ट से काफी समय पहले टाइगर मेमन को पकड़ लिया गया होता। इसी लापरवाही का सभी को खामियाजा भुगतना पड़ा। भारी चूक की वजह से कस्टम अधिकारियों को जेल और सजा हुई।
डर गया था संजय दत्त
संजय दत्त उन दिनों मॉरिशस में एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे। बम धमाकों के एक महीने तीन दिनों बाद १५ अप्रैल को एक अंग्रेजी अखबार में खबर छपी कि धमाकों में संजय दत्त का नाम आ सकता है। खबर पढ़ते ही संजय दत्त घबरा गए और पसीने से तरबतर हो गए। फौरन उन्होंने पुलिस कमिश्नर अमरजीत सिंह सामरा को फोन लगाया और अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनका बम धमाकों से कोई लेना-देना नहीं है। जवाब में सामरा ने कहा था कि अगर तुम निर्दोष हो तो घबराते क्यों हो? उन्होंने कहा शूटिंग पूरी करके मुझसे आकर मिलो। १५ अप्रैल को संजय दत्त मुंबई पहुंचे और सीधे पुलिस मुख्यालय पहुंचे। क्राइम ब्रांच अधिकारियों के सामने संजय ने वही बात दोहराई कि उसका धमाकों से कोई लेना-देना नहीं। क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक जब समीर हिंगोरा और हनीफ लकड़ावाला को संजय के सामने खड़ा किया गया, तो उन्हें कुछ कहने के लिए रह नहीं गया। संजय ने माना कि हमलों के लिए चार में से एक एके-५६ और एक रिवॉल्वर उन्हें भी दी गई। पुलिस ने नलवाला को उठाया और पूछताछ की, तो उसने बताया कि लोखंड का काम करनेवाले केरसी अदाजोनिया को जलाने के लिए दी थी। क्राइम ब्रांच टीम फौरन केरसी तक पहुंची। (जारी)

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