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ब्रेकिंग ब्लंडर : घमंड की इंतिहा!

राजेश विक्रांत

आज मैं खरी और ईमानदारी से भरी बात करने वाला हूं, उसके लिए आप मुझे चाहे सत्यवादी कहें या ईमानदार, मैं आपकी हरकत का कोई बुरा नहीं मानूंगा। चुनाव से पहले ही प्रत्याशी को सरकार में मंत्री पद की शपथ दिला देना, यह भाजपा सरकार के ही बस की बात है। ऐसी डेयरिंग और कोई कर ही नहीं सकता। दरअसल, भाजपा ही वीभत्स रस और हास्य रस के संयोग से अहंकार रस की सृष्टि कर सकती है। दूसरी पार्टी नहीं। जीते प्रत्याशी विरही यक्ष की भांति चाहे जितना विलाप करें पार्टी को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। कोई अगर ज्यादा विलाप करेगा तो उसके करियर को क्षति पहुंचने की संभावना उज्ज्वल हो जाएगी।
ये करिश्मा राजस्थान में हुआ है, जहां पर विधानसभा की २०० सीटें हैं। चुनाव के दौरान श्रीकरणपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया था। इस वजह से इस सीट पर चुनाव नहीं हो पाया था। अब चुनाव आयोग ने ५ जनवरी को यहां मतदान होना तय किया है।
इसी बीच भाजपा ने यहां जबरदस्त सराहनीय सा शुभ कर्म कर दिया है। मंत्रिमंडल के विस्तार में श्रीकरणपुर सीट से उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पद की शपथ दिला दी गई है। बिना चुनाव के बगैर जीते टीटी साहब मंत्रिपद की दशा को प्राप्त हो गए हैं।
टीटी जी का मामला घमंड की इंतिहा की मिसाल है। कहते हैं कि घमंड इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। जब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है तो इंसान समझ नहीं पाता कि क्या गलत है और क्या सही है। वह किसी को भी कष्ट पहुंचाने से नहीं चूकता उसे सिर्फ घमंड को बनाए रखना होता है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। उसको आगे पीछे कुछ भी नहीं दिखता और ऐसे व्यक्ति का जीवन में कुछ भी न कर पाना या नष्ट हो जाना संभव होता है इसलिए घमंड को दूर रखें और घमंडी व्यक्तियों का साथ छोड़ दीजिए। भगवान की बनाई गई सृष्टि में इंसान सबसे अनमोल कृति माना जाता है, लेकिन इंसान मैं और मेरा के चक्कर में इतना घमंडी हो जाता है कि उसे भगवान का भी ध्यान नहीं रहता है। प्राचीन काल से ही हम देखते आए हैं कि जिस जिसको घमंड हुआ है, उसका घमंड हमेशा चूर-चूर हुआ है। घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। रावण एक महान ज्ञाता था। उसके बराबर ज्ञानी कोई भी नहीं था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शास्त्र उसने पढ़े थे। वह शंकर भगवान का सबसे बड़ा भक्त था, लेकिन घमंड ने उसका पूरा ज्ञान चूर-चूर करके रख दिया और सब कुछ नष्ट हो गया था।
ऐसा लगता है कि भाजपा में घमंड बढ़ गया है। इससे राज्य की सियासत गरमा गई है। विपक्षी दल असहयोग आंदोलन कर रहे हैं। इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है। दूसरी ओर भाजपा वाले मौन की मच्छरदानी ताने हुए हैं। उन्होंने हाईकमान रूपी रक्षा कवच पहन लिया है। लेकिन ये महा घमंडी लोग हैं। अहंकार से भरे और अपमान प्रूफ जो मिट्टी भी उठा लेते हैं टूटे हुए घर की। गिरते हुए लोगों को उठाने नहीं आते। अहंकारियों की इस जमात को ध्यान में रखना होगा कि मिट्टी का जिस्म लेके चले हो तो सोच लो, इस रास्ते में एक समंदर भी आएगा।
अब तो नियम व उपनियम बताए जा रहे हैं कि संविधान के आर्टिकल के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना निर्वाचित हुए भी ६ माह तक मंत्री पद धारण करने का अधिकार है। लेकिन ये भी सच है कि सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मतदाता को प्रभावित करने के लिए सरकार में की गई नियुक्ति आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। अब देखना ये है कि इस घमंडी जमात का रावण जैसा हश्र कब होगा? लेकिन ये भी सच है कि इस अहंकारी समुदाय के आंख की रोशनी जफर की सल्तनत की तरह चली गई है।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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