चार एकड़ में फैले इस बाग में 15 से अधिक किस्मों के 1300 से अधिक फलदार वृक्ष लगाए गए हैं
मुंबई: ब्रिजस्टोन इंडिया ने सागेस्ट (सोसाइटी फॉर एनवायरनमेंट एंड एग्रीकल्चरल सस्टेनेबिलिटी) के सहयोग से मध्य प्रदेश के धार जिले के सुलवाड़ गांव में ब्रिजस्टोन न्यूट्रिशनल फ्रूट ऑर्चर्ड प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। यह महिलाओं के नेतृत्व वाली पहल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने, पोषण सुधारने और आजीविका सृजित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
चार एकड़ में फैले इस बाग में 15 से अधिक किस्मों के 1300 से अधिक फलदार वृक्ष लगाए गए हैं, जिन्हें टिकाऊ तकनीकों के माध्यम से, ब्रिजस्टोन के स्वयंसेवकों और स्थानीय समुदाय के सहयोग से तैयार किया गया है। पहले ही वर्ष में इस परियोजना ने 96% पौधों के जीवित रहने की दर हासिल की है। महिलाओं ने 1000 पौधों की नर्सरी का प्रबंधन, बाग की कचरे से खाद और जैविक कीटनाशक का निर्माण भी शुरू कर दिया है, जिससे जैविक खेती और आय सृजन को बढ़ावा मिल रहा है। पेड़ों के फल देने के बाद, इन फलों की बिक्री वर्षभर महिलाओं के लिए आय का स्थायी स्रोत बनेगी।
अजीविका को सशक्त करने के साथ-साथ, यह पहल सुलवाड़ गांव में 251 घरेलू किचन गार्डन के निर्माण के माध्यम से पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही है, जिससे परिवारों को ताजा और पोषक आहार उपलब्ध हो रहा है। नियमित प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों ने ग्रामीणों में जिम्मेदारी, स्वामित्व और पर्यावरणीय चेतना की भावना को बढ़ाया है।
ब्रिजस्टोन इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर हिरोशी योशिज़ाने ने कहा, “सच्ची स्थिरता केवल व्यापार नहीं होती—यह समुदायों को सशक्त बनाने और पृथ्वी की रक्षा करने के बारे में है। यह परियोजना दिखाती है कि महिलाओं के नेतृत्व वाली सामुदायिक पहल पोषण, आजीविका और पर्यावरण पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है। यह केवल पेड़ लगाने की बात नहीं है; यह आशा, लचीलापन और एक बेहतर भविष्य बोने की बात है।”
यह एक अनूठी पहल है जिसमें कई भागीदार शामिल हैं—ब्रिजस्टोन और इसकी सहयोगी संस्था सागेस्ट द्वारा क्रियान्वयन, ग्राम पंचायत द्वारा भूमि प्रदान करना, स्थानीय महिलाएं इसका प्रबंधन कर रही हैं, और बगल के सरकारी स्कूल के शिक्षक व छात्र इसमें सहयोग दे रहे हैं। अपने समग्र दृष्टिकोण के साथ, यह परियोजना पर्यावरणीय स्थिरता, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तीकरण का एक आदर्श उदाहरण बन गई है कि कैसे कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से समुदाय-नेतृत्व वाला स्थायी परिवर्तन संभव है।