-दूसरे दिन चारबाग स्टेशन पर बेसुध बालिका को धकेल हुए फरार
-कप्तान तक पहुंचा मामला, तब हुई सोलहवें दिन एफआईआर
-सुलतानपुर पुलिस ने केस दर्ज कर चार को किया नामजद
विक्रम सिंह / सुलतानपुर
यूपी की बुलडोजर सरकार के दावों को अयोध्या परिक्षेत्र के सुलतानपुर जिले में घटित एक सनसनीखेज दुस्साहसिक वारदात ने एक बार फिर आईना दिखा दिया है। तीन मुस्लिम वहशी दरिंदे शहर के सीमावर्ती उत्तरी छोर पर बसे मुहल्ले की छठीं कक्षा में पढ़ने वाली बालिका को देर रात घर से अगवा कर कार में घसीट ले गए। इसके बाद सुलतानपुर से लेकर राजधानी लखनऊ की सड़कों पर कार में टहलते हुए उसके साथ लगातार सामूहिक दुष्कर्म करते रहे, जब बालिका इस हैवानियत के चलते अचेत हो गई तो राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के एक कोने में उसे धकेल फरार हो गए।
बेहाल बालिका को राजधानी की मित्र पुलिस ने बाल कल्याण समिति के हवाले कर पल्ला झाड़ लिया। सूचना पाने के बाद तीसरे दिन पीड़िता को लेकर उसका पिता घर ले आया। यहां सुलतानपुर की पुलिस भी कोई कार्रवाई करने के बजाय १२ दिनों तक प्रकरण को दाब कर बैठी रही। जब गुरुवार को बिलखते हुए पीड़िता खुद पुलिस कप्तान के सामने पेश हुई, तब जाकर सुलतानपुर पुलिस हरकत में आई। फिलहाल, वारदात के पखवारे भर बाद नगर कोतवाली पुलिस ने आरोपियों पर नामजद एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है। इधर, राष्ट्रीय गौरक्षा वाहिनी सहित कई हिंदूवादी संगठन भी बेटी को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतर आए हैं और वहशी दरिंदों को सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
वारदात शहर के सीमावर्ती उत्तरी क्षेत्र के एक मोहल्ले का है। इस मुहल्ले की निवासी छठी कक्षा की एक बालिका से उसी मुहल्ले के मिशान, रंगबाज, साहिल और अज्जू आदि शोहदों ने सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर दोस्ती के बहाने संपर्क साधा। बालिका इन शोहदों की नीयत से नावाकिफ थी। इसी दौरान २० जनवरी की देर रात अपने घर में पढ़ रही बेटी के घर के दरवाजे पर पहुंचे इंस्टाग्राम फ्रेंड व उसके तीन दोस्तों ने किसी बहाने बाहर बुलाया और जबरन सफेद रंग की कार में घसीट अगवा कर लिया। वे बालिका को रात में घंटों शहर की सड़कों पर टहलाते रहे, फिर हाइवे से होते हुए राजधानी लखनऊ की ओर चल पड़े। इस दौरान बालिका के साथ चारों शोहदे लगातार दुष्कर्म करते रहे।
जब बालिका सुध-बुध खो बैठी तो उसे लखनऊ के चारबाग स्टेशन के किनारे कार से धकेल फरार हो गए। राजधानी पुलिस ने भी गैरजिम्मेदाराना अंदाज में बाल कल्याण समिति की देख-रेख में करके किनारा कर लिया। आरोपियों पर एक्शन की कौन कहे, बालिका की आपबीती तक जानने की कोशिश नहीं की।…इधर अगले दिन सुबह बेटी को अपने कमरे में न पाकर माता-पिता ने स्थानीय निरालानगर पुलिस चौकी को सूचित किया, लेकिन आदतन नगर पुलिस ने महज गुमशुदगी दर्ज करके पल्ला झाड़ लिया। दो दिन तक पीड़ित परिवार बेटी की तलाश में दर-दर भटकता रहा, लेकिन कुछ पता न चल सका। तीसरे दिन लखनऊ की सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) से आए फोन पर बेटी के लखनऊ में होने की जानकारी माता-पिता को मिली। इस पर लखनऊ जाकर पिता अपनी बेटी को घर लेकर आया, तभी से करीब दस दिनों तक पीड़िता बेटी को लेकर मां नगर पुलिस के अफसरों के आगे चक्कर लगाती रह गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जब बालिका एसपी कुंवर अनुपम सिंह के समक्ष पेश हुई। गौरक्षा वाहिनी ने इसे मुद्दा बनाया, तब कहीं जाकर एक्शन शुरू हुआ। एसपी सिंह के आदेश पर एफआईआर दर्ज कर अब आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है।
गंभीर आरोप-पकड़कर छोड़ दिए गए वहशी युवक
राष्ट्रीय गौरक्षा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी सर्वेश सिंह ने गंभीर आरोप नगर पुलिस पर मढ़ा है कि हस्ताक्षेप के बाद दरिंदों पर दर्ज हो रहा एफआईआर…। बालिका से गैंगरेप के आरोपियों मिशान, रंगबाज व अन्य को पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस कर पकड़ा, लेकिन बाद में सभी को छोड़ दिया था। पीड़िता और उसके माता-पिता लगातार न्याय के लिए थाने और पुलिस कार्यालय के चक्कर काट रहे थे, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता रहा। यदि यह सत्य है तो पुलिस सिस्टम पर सवाल है और सवाल के घेरे में आए पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई अपेक्षित है।