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सर्वाइकल कैंसर ले रहा महिलाओं की जान … हर घंटे हो रही है ८-९ मरीजों की मौत!

देश में हर साल १.२५ लाख नए मामले आ रहे हैं सामने
जागरूकता की कमी से महिलाएं आती हैं चपेट में
सामना संवाददाता / मुंबई
आज भी हमारे देश में महिलाएं कई स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने और खुलकर डॉक्टरी सलाह लेने से डरती हैं। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जिन्हें विशिष्ट समस्याओं के बारे में पता नहीं होता है और वे चुपचाप सहती रहती हैं। दूसरी तरफ बदलती जीवनशैली और काम के तनाव के कारण मानसिक बीमारी के मामले भी बढ़ रहे हैं। इन सबके बीच महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, जो चिकित्सकों को चिंतित करने लगा है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में इस कदर हावी हो रहा है कि देशभर में इस जानलेवा बीमारी से ७५ हजार महिलाओं की मौत हो रही है। इस तरह हर हर घंटे ८-९ महिलाएं मौत की आगोश में समां रही हैं। इतना ही नहीं हिंदुस्थान में हर साल १.२५ लाख नए मामले पंजीकृत हो रहे हैं।
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होना आम बात हो गया है। यह कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण से होता है। एचपीवी के कई प्रकार हैं, इनमें से कुछ स्ट्रेन घातक हैं। इसके संक्रमित होने पर सर्वाइकलकैंसर होने की संभावना बनी रहती है। लेकिन एचपीवी से संक्रमित हर किसी को कैंसर नहीं होता है, केवल कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को ही इससे नुकसान होता है। डॉक्टरों का कहना है कि ९५ प्रतिशत से अधिक सर्वाइकल कैंसर का कारण एचपीवी है। एचपीवी आमतौर पर शारीरिक संबंध बनाते समय फैलता है। महिलाओं को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस वायरस से संक्रमित होने की अधिक संभावना होती है। इसका पता नियमित पैप स्मीयर परीक्षण के माध्यम से लगाया जाता है।
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए है वैक्सीन
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन घोलप ने कहा कि सर्वाइकल वैंâसर के खतरे को कम करने के लिए एक ‘वैक्सीन’ उपलब्ध है। लेकिन इस वैक्सीन के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। कई महिलाएं इस बात से अनजान हैं कि सर्वाइकल वैंâसर को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इस कैंसर के लक्षण शुरुआत में दिखाई नहीं देते हैं।

महिलाओं को कराना चाहिए परीक्षण
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. शोभना चव्हाण के अनुसार, सर्वाइकल वैंâसर का पता लगाने के लिए पैप स्मीयर परीक्षण सबसे अधिक इस्तेमाल किए जानेवाले परीक्षण हैं। महिलाओं को हर साल यह जांच करानी चाहिए। पैप परीक्षण और एचपीवी परीक्षण दोनों सामान्य हैं, तो हर साल पैप परीक्षण कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। डॉ. शोभना कहती हैं कि २१ से ३० आयु की महिलाओं को हर तीन साल में तो ३१ से ६४ वर्ष की आयु की महिलाओं को हर पांच साल में पैप और एचपीवी परीक्षण कराना चाहिए। इसी तरह ६५ वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए।

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